शनिवार, 1 मार्च 2014

सत्संग - स्वामी रामसुखदासजी महाराज

  ।।श्री हरि:।।
सत्संग-संतवाणी

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी  महाराजका सत्संग ( SATSANG GITA AADI -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ ) और गीता-पाठ, गीता-गान(सामूहिक आवृत्ति,साफ आवाज वाली  रिकार्डिंग ), गीता-माधुर्य(उन्हीकी आवाजमें), गीता-व्याख्या(करीब पैंतीस कैसेटोंका सेट), 'कल्याणके तीन सुगम मार्ग'[नामक पुस्तककी उन्हीके द्वारा व्याख्या], नानीबाईका माहेरा, भजन, कीर्तन, पाँच श्लोक(गीता ४/६-१०), तथा नित्य-स्तुति, गीता, सत्संग(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके 71 दिनोंका सत्संग-प्रवचनोंका सेट), मानसमें नाम-वन्दना, राम-कथामें सत्संग आदि तथा इनके सिवाय और भी सामग्री आप यहाँ(के इन पते-ठिकानों ) से मुफ्तमें-निशुल्क प्राप्त करें- 

(1-) http://db.tt/v4XtLpAr

(2-) http://www.swamiramsukhdasji.org 

(3-) http://goo.gl/28CUxw 

नोट- यहाँ पर श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी पढने योग्य साधक-संजीवनी, साधन-सुधा-सिन्धु, गीता-दर्पण आदि करीब तीस पुस्तकें भी नि:शुल्क उपलब्ध है|

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पता-सत्संग-संतवाणी. श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें। http://dungrdasram.blogspot.com/

4 टिप्‍पणियां:

  1. आप जैसे महानुभावोंने इस प्रस्तुतिको पसन्द किया।इससे मैं अपने प्रयत्नको सफल समझता हूँ; क्योकि

    जो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं ।
    सो श्रम बादि बाल कबि करहीं ॥


    कीरति भनिति भूति भलि सोई ।
    सुरसरि सम सब कहँ हित होई ॥

    राम सुकीरति भनिति भदेसा ।
    असमंजस अस मोहि अँदेसा ॥

    तुम्हरी कृपा सुलभ सोउ मोरे ।
    सिअनि सुहावनि टाट पटोरे ॥

    (रामचरितमा.1/14)

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  2. आप जैसे महानुभावोंने इस प्रस्तुतिको पसन्द किया।इससे मैं अपने प्रयत्नको सफल समझता हूँ; क्योकि

    जो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं ।
    सो श्रम बादि बाल कबि करहीं ॥


    कीरति भनिति भूति भलि सोई ।
    सुरसरि सम सब कहँ हित होई ॥

    राम सुकीरति भनिति भदेसा ।
    असमंजस अस मोहि अँदेसा ॥

    तुम्हरी कृपा सुलभ सोउ मोरे ।
    सिअनि सुहावनि टाट पटोरे ॥

    (रामचरितमा.1/14)

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  3. आशीष कुमार प्यासी
    मोबाइल नंबर 🇮🇳 व्हाट्सएप 🇮🇳 9669938129
    ashishkumarpyasi129@gmail.com

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