।।श्री हरि:।।
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग ( SATSANG GITA AADI -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ ) और गीता-पाठ, गीता-गान(सामूहिक आवृत्ति,साफ आवाज वाली रिकार्डिंग ), गीता-माधुर्य(उन्हीकी आवाजमें), गीता-व्याख्या(करीब पैंतीस कैसेटोंका सेट), 'कल्याणके तीन सुगम मार्ग'[नामक पुस्तककी उन्हीके द्वारा व्याख्या], नानीबाईका माहेरा, भजन, कीर्तन, पाँच श्लोक(गीता ४/६-१०), तथा नित्य-स्तुति, गीता, सत्संग(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके 71 दिनोंका सत्संग-प्रवचनोंका सेट), मानसमें नाम-वन्दना, राम-कथामें सत्संग आदि तथा इनके सिवाय और भी सामग्री आप यहाँ(के इन पते-ठिकानों ) से मुफ्तमें-निशुल्क प्राप्त करें-
(1-) http://db.tt/v4XtLpAr
(2-) http://www.swamiramsukhdasji.org
(3-) http://goo.gl/28CUxw
नोट- यहाँ पर श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी पढने योग्य साधक-संजीवनी, साधन-सुधा-सिन्धु, गीता-दर्पण आदि करीब तीस पुस्तकें भी नि:शुल्क उपलब्ध है|
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पता-सत्संग-संतवाणी. श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें। http://dungrdasram.blogspot.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्णा।
आप जैसे महानुभावोंने इस प्रस्तुतिको पसन्द किया।इससे मैं अपने प्रयत्नको सफल समझता हूँ; क्योकि
जवाब देंहटाएंजो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं ।
सो श्रम बादि बाल कबि करहीं ॥
कीरति भनिति भूति भलि सोई ।
सुरसरि सम सब कहँ हित होई ॥
राम सुकीरति भनिति भदेसा ।
असमंजस अस मोहि अँदेसा ॥
तुम्हरी कृपा सुलभ सोउ मोरे ।
सिअनि सुहावनि टाट पटोरे ॥
(रामचरितमा.1/14)
आप जैसे महानुभावोंने इस प्रस्तुतिको पसन्द किया।इससे मैं अपने प्रयत्नको सफल समझता हूँ; क्योकि
जवाब देंहटाएंजो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं ।
सो श्रम बादि बाल कबि करहीं ॥
कीरति भनिति भूति भलि सोई ।
सुरसरि सम सब कहँ हित होई ॥
राम सुकीरति भनिति भदेसा ।
असमंजस अस मोहि अँदेसा ॥
तुम्हरी कृपा सुलभ सोउ मोरे ।
सिअनि सुहावनि टाट पटोरे ॥
(रामचरितमा.1/14)
आशीष कुमार प्यासी
जवाब देंहटाएंमोबाइल नंबर 🇮🇳 व्हाट्सएप 🇮🇳 9669938129
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