इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
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गुरु 'तत्त्व' कैसे होता है ? क्या बिना 'गुरु' बनाये ही 'कल्याण' हो सकता है ? लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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