इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
पेज
▼
गुरुवार, 10 सितंबर 2015
गुरुवार, 27 अगस्त 2015
मंगलवार, 25 अगस्त 2015