इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
पेज
▼
सोमवार, 24 मार्च 2014
वर्णसंकरका विषय
वर्णसंकरके विषयमें 'साधक-संजीवनी (लेखक- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज) गीता'के इन श्लोकोंकी व्याख्या पढनेका परिश्रम करावें-1/41'42: 3/24; ।
पापमुक्तिकी बात 18/66 में देखें और भक्तकी बात 4/3;18/58,59 में देखें।
सीताराम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें