इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
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शनिवार, 25 जुलाई 2015
ध्यान देनेके लिये प्रवचन-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज
19941016_1500.माँ बापके तो हम हैं,सम्बन्ध करना नहीं है,वो तो है।कुछ तो है-घटना। (goo.gl/hvuDti)
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