शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

(निवेदन 1,2-)'सत्संग-स्वामीरामसुखदासजीम' वाले समूहके सदस्योंसे नम्र निवेदन-

'सत्संग-स्वामीरामसुखदासजीम' वाले समूहके सदस्योंसे नम्र निवेदन-

१-

कई सत्संगियोंका भाव था और मेरे पास विस्तृत निवेदन भी आया है कि एक ऐसा समूह (ग्रुप) हो कि जिसमें केवल सत्संग-सम्बन्धी चर्चा हों।उसमें  'परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'की बातें,संस्मरण,अनुभव और ज्ञान आदि हों। इसलिये यह समूह ('सत्संग-स्वामीरामसुखदासजीम') बनाया गया है।

इस समूहका उद्देश्य है कि इसमें सिर्फ 'परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'के सत्संगकी ही बातें हों।इस सत्संगके अलावा किसीको और कोई बात बतानी हो तो कृपया "ज्ञानचर्चा" नाम वाले दूसरे समूहमें भेजें। इस समूहमें 'परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'की सत्संग-सम्बन्धी बातोंके अलावा दूसरी बातें न भेजें। 

सत्संग सामग्री भेजनेवालोंसे प्रार्थना है कि जो भी कुछ भेजें,वो प्रमाणिक हों,सत्य हों। जिस पुस्तकमेंसे जो बात लिखी गई हों,कृपया उस पुस्तकका नाम और लेख का नाम लिखें।  पृष्ठ संख्या साथ में लिखना और भी बढ़िया है।  सत्संग-प्रवचन आदिमें से भी जो बात लिखी हों तो कृपया वो भी (तारीख आदि) बतावें। अगर याद न हो या कोई दूसरी असुविधा हो तो कृपया स्पष्ट करके जतादें। 

जिन बातों का पता ठिकाना न हों,  वो बातें यहाँ न भेजें।  

इस प्रकार सत्य-सत्य बातोंकी ही चर्चा हों। सत्यका संग ही सत्संग है।

श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज की सत्संग के अलावा अन्य कोई भी सामग्री न भेजें,  चाहे वो कितनी ही बढ़िया हो। 

यहाँ पर किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री न भेजें ।

कथा आदि की सूचना भी इस ग्रुप में न भेजें। 

इन बातों पर ध्यान न देने वालों के नम्बर यहाँ से हटाये जा सकते हैं।
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इस समूहका नामहै-

"सत्संग-('परम श्रद्धेय)स्वामी(जी श्री)रामसुखदासजी म(हाराज'का सत्संग)"।

यह(वाटस्ऐप) पूरा नाम पकड़ता नहीं है; इसलिये संक्षिप्त नाम यह लिखना पड़ा-

सत्संग-स्वामीरामसुखदासजीम।

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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/

२-

जैसे श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज की पुस्तकोंमें उनके ही लेख होते हैं,दूसरों के नहीं।इसी प्रकार इस समूहमें भी उनके ही सत्संगकी बातें होनी चाहिये,दूसरोंकी नहीं।

दूसरोंके लेख चाहे  कितने ही अच्छे हों,पर स्वामीजी महाराज की पुस्तक में नहीं दिये जाते और अगर दे दिये जायँ तो फिर सत्यता नहीं रहेगी (कि यह पुस्तक श्री स्वामीजी महाराज की है)।

ऊपर नाम तो हो श्रीस्वामीजी महाराज का और भीतर सामग्री हो दूसरी,तो वहाँ सत्यता नहीं है,झूठ है और जहाँ झूठ-कपट हो, तो वहाँ धोखा होता है,वहाँ विश्वास नहीं रहता।

विश्वास वहाँ होता है, जहाँ झूठ-कपट न हो,जैसा ऊपर लिखा हो,वैसा ही भीतर मौजूद हो।यही सत्यता है।सत्यताको पसन्द करना,सत्यमें प्रेम करना ही सत्संग है।

इस (मो.नं. 9414722389 वाले) समूहका उद्देश्य ही यह है कि इसमें सिर्फ श्रीस्वामीजी महाराजके सत्संगकी बातें हों।

मेरी सब सज्जनों से विनम्र प्रार्थना है कि इस समूहको इसके नामके अनुसार ही रहनें दें।किसी भी प्रकारकी दूसरी सामग्री न भेजें।

विनीत- डुँगरदास राम