शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

पेज और उसकी सत्संग-सामग्री पराये हाथों में चली गई। 

                  ।।श्रीहरिः।।

पेज और उसकी सत्संग-सामग्री पराये हाथों में चली गई।      
             
          
फेसबुक के एक पेज ('सत्संग-संतवणी - परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज' नामक पेज) को किसी ने अपने कब्जे में ले लिया है और अब वो उसपर, उसके स्टेटस पर अश्लील, गन्दी फोटो आदि डाल रहा है, गलत विज्ञापन दे रहा है। यह कार्य पेज की भावनाओं के बिल्कुल विपरीत है, गलत है। 
यह एक प्रकारका अपराध है। अपराध पापसे भी भयंकर होता है। पाप तो फल भोग लेनेपर मिट जाता है, परन्तु अपराध नहीं मिटता है। अपराध तो तभी मिटता है जब [जिसका अपराध किया है] वो स्वयं माफ करदे। और रामायण (रामचरिमा.२|२१८) में लिखा है कि 

सुनु सुरेस रघुनाथ सुभाऊ। निज अपराध रिसाहिं न काऊ।। 

जो अपराधु भगत कर करई। राम रोष पावक सो जरई।। 
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श्री स्वामी जी महाराज की पुस्तक "तित देखूँ तित तूँ" में भी लिखा है– 
जिस तरह भक्तिमें कपट, छल आदि बाधक होते हैं,
उसी तरह भागवत अपराध भी बाधक होता है। भगवान् अपने प्रति किया गया अपराध तो सह सकते हैं, पर अपने भक्तके प्रति किया गया अपराध नहीं सह सकते। देवताओंने
मन्थरामें मतिभ्रम पैदा करके भगवान् रामको सिंहासनपर नहीं बैठने दिया तो इसको भगवान् ने अपराध नहीं माना। परन्तु जब देवताओंने भरतजीको भगवान् रामसे न मिलने देनेका
विचार किया, तब देवगुरु बृहस्पतिने उनको सावधान करते हुए कहा- 
सुनु सुरेस रघुनाथ सुभाऊ। निज अपराध रिसाहि न काऊ ।।
जो अपराधु भगत कर करई। राम रोष पावक सो जरई ॥
लोकहुँ बेद विदित इतिहासा । यह महिमा जानहि दुरबासा ।। 
(मानस, अयोध्या० २१८ | २-३)। 
(साधन-सुधा-सिन्धु पृष्ठ ४३८ से)। 
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अब यह पेज बनानेवाले (व्यवस्थापक) के हाथ में नहीं रहा है। इसलिये दर्शकों से निवेदन है कि आपलोग रिपोर्ट करके इनको बन्द करवावें। 

ऐसे चित्र देखने हैं या नहीं देखने हैं- ये अब देखनेवाले लोगों के हाथ में है। अगर नहीं देखने हैं तो इनको बन्द करवाने की रिपोर्ट करें और दूसरों से भी करवायें। 
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निवेदक -डुँगरदास राम 
23 सितम्बर 2022 _4:22 

http://dungrdasram.blogspot.com/2022/09/blog-post.html 
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            ।।जय श्रीराम।। 

हे मेरे नाथ! मैं आपको भूलूँ नहीं *