शनिवार, 15 दिसंबर 2018

विश्राम में परमात्मा में स्थिति(- श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)।

                      ।।श्रीहरिः। ।

विश्राम में परमात्मा में स्थिति ।
(- श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)।

श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज ने
( "19940711_0518_Chup Saadhan_VV " नाम वाले) इस प्रवचन में कहा कि

एक विश्राम और एक क्रिया- दो चीज है। हरेक क्रिया करते हैं तो क्रिया में थकावट होती है,खर्च होता है। विश्राम में थकावट दूर होती है, संग्रह होता है। थकावट में बल खर्च होता है। व्यायाम से बल बढता है, परन्तु वो एक समय वो खर्च होता है। और विश्राम में शान्ति मिलती है, बल बढता है, विवेक काम आता है और विश्राम की बहोत बङी महिमा है, परमात्मा में स्थिति हो जाती है। 

हम काम करते हैं, (तो) लोगों की प्रायः दृष्टि है क्रिया पर। क्रिया से, कर्म से काम होता है, करणे से होता है काम। है भी संसार में करणे से ही होता है, ॰परन्तु परमात्मतत्त्व की प्राप्ति विश्राम में होती है अर उनसे अनुकूल क्रिया होती है। करणे में क्या बात है ! कि जो बिना ज़रूरी क्रिया है, उसका तो त्याग कर दे, जिससे कोई ना स्वारथ होता है ना परमार्थ होता है। मानो, न पैसे पैदा होता है, ना कल्याण होता है। ऐसी क्रियाओं का, जो निरर्थक है, अभी आवश्यक नहीं है, उन क्रियाओं का (तो) त्याग कर दे और आवश्यक काम है उस काम को कर लें। तो आवश्यक काम करने के बाद और निरर्थक क्रियाओं के त्यागने के बाद, विश्राम मिलता है। स्वतः, स्वाभाविक। 

वो विश्राम है, वो अगर आप अधिक करलें, तो उसमें बङी लाभ की बात है। इसमें ताक़त मिलती है। जैसे, चलते-चलते कोई थक जाय, तो थोङा क ठहर जाते हैं - सांस (श्वास) मारलो, सास मारलो। आप(लोग) कहा करे है -थोङा विश्राम करलो। तो फेर चलने की ताक़त आ जाती है। ऐसे, क्रिया करते- करते बीच में ठहरना है, (यह) बहोत अच्छा है। आप अगर उचित समझें तो ऐसा करके देखें, थोङी देर, पाँच- सात सैकण्ड ही हो चाहे। कुछ नहीं करना है, ना भीतर से कुछ करना है, ना बाहर की क्रिया। ना कोई मन, बुद्धि की क्रिया। (क्रिया) नीं (नहीँ) करणा। यह अगर आ जाय थोङी क करना, तो इससे सिद्धि होती है। आगे (अगाङी) क्रियाओं की ताक़त होती है, ताक़त आती है इससे। और विश्राम मिलता है, थकावट दूर होती है और बहुत बङी बात होती है कि संसार का सम्बन्ध- विच्छेद होता है। (यथावत् लेखन)। 

इसमें आगे और भी बढ़िया बातें बताई गई है। जानने के लिये पूरा प्रवचन सुनें। 

राम राम राम राम राम राम राम ।
राम राम राम राम राम राम राम ।।

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