शनिवार, 10 अप्रैल 2021

भगवान के दर्शन की बात।(-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।

भगवान के दर्शन की बात।

(-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)। 


एक बालक ने श्रद्धेय  स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज से पूछा कि आपको भगवान के दर्शन हुए हैं क्या?

जवाब देते हुए (तर्क की मुद्रा में) श्री स्वामीजी महाराज बोले कि तुम अपना खजाना बताते हो क्या?

बालक समझ भी नहीं पाया और बोल भी नहीं पाया कि अब क्या कहना चाहिये। फिर किसीने बालक को वहीं रोक दिया।

श्री स्वामीजी महाराज का कहना है कि 'जब लोग अपने लौकिक धन को भी (हरेक को) बताना नहीं चाहते, बताने योग्य नहीं समझते, तो फिर अलौकिक धन, पारमार्थिक खजाना (भगवान् के दर्शन आदि ) क्या बताने योग्य है! अर्थात् हरेक को बताने योग्य नहीं है।'

लोगों को अगर कह दिया जाय कि हाँ मेरे को भगवान के दर्शन हुए हैं तो लोगों के जँचेगी नहीं, उलटे तर्क पैदा होगा। दोषदृष्टि करेंगे। (इससे उनका नुक्सान होगा)।

(लोगों को बताने से विघ्न बाधाएँ भी आती है-)।

सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका ने कहा है कि भक्त प्रह्लाद की भक्ति में इतनी बाधाएँ इसलिये आयीं कि उन्होंने भक्ति को (लोगों के सामने) प्रकट कर दिया था। (अगर प्रकट न करते तो इतनी बाधाएँ नहीं आतीं)।

श्री सेठजी ने भी गुप्त रीति से ही साधन किया है और सिद्धि पायी है।

चूरू की हवेली के ऊपर कमरे में उनको चतुर्भुज भगवान विष्णु के दर्शन हुए थे।

श्री स्वामीजी महाराज ने वहाँ पधार कर वो जगह बताई थी कि यहाँ श्री सेठजी को भगवान के दर्शन हुए थे।

श्री सेठजी मुँह पर चद्दर ओढ़े सो रहे थे उस समय भगवान् ने दर्शन दिये। कह, ऊपर चद्दर ओढ़ी होने पर भी भगवान दिखलायी कैसे पड़ रहे हैं?

उन्होंने चद्दर हटा कर देखा तो भगवान वैसे ही दिखाई दिये , जैसे चद्दर के भीतर से (साफ) दीख रहे थे। बीच में चद्दर की आड़ होने पर भी भगवान के दीखने में कोई फर्क नहीं पड़ा।

श्री सेठजी कहते हैं कि ऐसे चाहे बीच में पहाड़ भी आ जाय तो भी भगवान के दीखने में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

यह बात प्रसिद्ध है कि श्री सेठजी ने कई लोगों की मौजूदगी में भाईजी श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार को भगवान् के दर्शन करवाये थे।

भाईजी से जब कहा गया कि भगवान के चरण पकड़ो। तब उन्होंने चरण पकड़ने के लिये हाथ बढ़ाये , तो वो हाथ श्री सेठजी के चरणों में गये।

(कई लोगों के मन में जिज्ञासा रहती है कि ऐसे ही श्री स्वामीजी महाराज को भी भगवान् के दर्शन हुए थे क्या?

उनके लिये ये बातें काम की है) ।

आज ही एक पुराने सत्संगी सज्जन बोले कि श्री स्वामीजी महाराज ने मेरे सामने बताया है कि श्री सेठजी ने स्वामीजी महाराज से कहा कि आप अपनी भगवत्प्राप्ति (वाली सिद्धि) लोगों में प्रकट न करें तो अच्छा रहेगा ; क्योंकि (अयोग्य) लोग पीछे पड़ जाते हैं कि मेरे को भी करवादो, हमारे को भी भगवान के दर्शन करवादो आदि आदि।

(मेरे को जो भगवान के दर्शन हुए थे उसको) मैंने प्रकट कर दिया था जिसके कारण मेरे को भी मुश्किल का सामना करना पड़ा। अस्तु।

अपने को साधक मानने में हानि नहीं  है , हानि तो सिद्ध मानने में है। अपने को सिद्ध मानने में बहम भी हो सकता है पर साधक मानने में क्या बहम होगा।

जो अपने को साधक मानता है वह उन्नति करता ही चला जाता है (सिद्ध मानकर रुकता नहीं कि अब मेरे को क्या करना है,जो करना था सो तो कर लिया)।

श्री सेठजी ने कहा है (इतने महान होकर भी) श्री स्वामीजी महाराज अपने को साधक ही मानते हैं। (यह इनकी विशेषता है)।

श्री स्वामीजी महाराज बताते हैं कि मैंने श्री सेठजी से प्रार्थना की कि मेरे को सिद्धि का पता न चले अर्थात् मैं चाहता हूँ कि मेरे में (भगवत्प्राप्ति आदि) सिद्धि है,इसका मेरे को पता न चले।■

इस प्रकार पारमार्थिक लाभ गोपनीय रखने में ही फायदा है। ऐसे अधिकारी मिलने दुर्लभ हैं जिनको ऐसी रहस्य की बातें बतायी जायँ।

अधिकारी को तो महापुरुष अत्यन्त गोपनीय रहस्य भी बता देते हैं-

श्रोता सुमति सुसील सुचि कथा रसिक हरि दास।
पाइ उमा अति गोप्यमपि सज्जन करहिं प्रकास।।

रामचरितमा.७। ६९(ख)।।

http://dungrdasram.blogspot.com 


मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

सत्संग के अनेक लाभ। यहाँ श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज की सत्संग से होनेवाले अनेक प्रकार के लाभ बताये गये हैं और वे लाभ हर कोई ले सकते हैं -डुँगरदास राम

                 ।।श्रीहरिः।। 

 * सत्संग के अनेक लाभ *

(यहाँ "श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज" की सत्संग से होनेवाले अनेक प्रकार के लाभ बताये गये हैं और वे लाभ हर कोई ले सकते हैं)।

● "श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज" की रिकोर्डिंग वाणीवाला "सत्संग" सुनें और "साधक- संजीवनी" आदि पुस्तकों द्वारा उनका "सत्संग" करें। "श्री स्वामीजी महाराज" के "सत्संग" में हर प्रकार के मनुष्यों को अपने- अपने काम की सामग्री मिलती है। इसलिये यह सत्संग सबके काम का है। इसमें बहुत विलक्षणताएँ भरी हुई हैं। इसमें तरह-तरह के लाभ हैं। ●

इसमें अनेक प्रकार की विशेषताएँ हैं। 


जैसे- 


१.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का यह सत्संग गीताज्ञान,  रहस्य युक्त, शास्त्र सम्मत, अनुभव सहित, युक्तियुक्त, सत- असत का विभाग बतानेवाला और तत्काल परमात्मप्राप्ति का अनुभव कराने वाला है। 


२.यह बिना कुछ किये परमात्मा की प्राप्ति करानेवाला, सरलता से भगवत्प्राप्ति करानेवाला, करणसापेक्ष तथा करणनिरपेक्ष साधन बताने वाला और करणरहित साध्य का अनुभव करानेवाला है। 


३.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का सत्संग आजकल की आवश्यकता युक्त, सामयिक, रुचिकर और तरह-तरह की शंकाओं का समाधान करनेवाला है। 


४.यह संशयछेदक, दुःख मिटानेवाला, राग-द्वेष मिटानेवाला, समता लानेवाला, शोकनाशक, चिन्ता मिटानेवाला और पश्चात्ताप हरनेवाला है। 


५.यह उन्माद, डिप्रेशन, टेंशन मिटानेवाला, स्वास्थ्य ठीक करनेवाला, संसार का मोह मिटानेवाला, संसार की निःसारता बतानेवाला, चेतानेवाला, तीनों तापों का नाश करनेवाला और व्यवहार में परमार्थ की कला सिखानेवाला है। 


६.यह गर्भपात आदि बङे-बङे महापापों से बचानेवाला, मृत्यु से बचानेवाला, आत्महत्या से बचानेवाला, दुर्घटनानाशक, बुराई रहित करनेवाला और संसारमात्र् की असीम सेवा का रहस्य बतानेवाला है। 


७.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का सत्संग परिवार में प्रेम से रहने की विद्या सिखानेवाला, आपसी मतभेद मिटानेवाला, खटपट मिटानेवाला, लङाई- झगङे का समाधान करनेवाला और सुख शान्ति लानेवाला है। 

८.यह गऊ, ब्राह्मण, हिन्दू और हिन्दु संस्कृति की रक्षा करनेवाला, साधकों को सही रास्ता बतानेवाला, साधू और गृहस्थों को सही मार्ग बतानेवाला और साधुता सिखानेवाला है, सज्जनता सिखानेवाला है। 


९.यह अहंता ममता मिटानेवाला, भय, आशा, तृष्णा, आसक्ति आदि मिटानेवाला, काम क्रोध आदि विकारों से छुङानेवाला और त्याग वैराग्य सिखानेवाला है। 


१०.श्री स्वामी जी महाराज का सत्संग परमात्मा का परमप्रेम प्रदान करनेवाला,भगवान् की लीला समझानेवाला, भक्ति का रहस्य बतानेवाला, भगवान् से अपनापन करानेवाला और परम प्रभुसे नित्य-सम्बन्ध जोङनेवाला है। 


११.यह भगवत्कृपा का रहस्य बतानेवाला, सगुण- निर्गुण, साकार- निराकार का रहस्य समझानेवाला,वासुदेवः सर्वम् ,  समग्ररूप भगवान् का ज्ञान करानेवाला, सबका समन्वय करनेवाला, संसार और परमात्मा का भेद मिटानेवाला है। 


१२.यह तर्कयुक्त (तर्कसहित), तात्त्विक और सत्य परमात्मा का महत्त्व बतानेवाला है।


 १३.यह गुरुज्ञान, तत्त्वज्ञान, ब्रह्मज्ञान तथा कर्म का रहस्य बतानेवाला, अर्थयुक्त, सारगर्भित, सर्वहितकारी, मानवमात्र् का कल्याण करनेवाला, बङा विलक्षण और अत्यन्त प्रभावशाली है। 


१४.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का सत्संग अपने प्रियजन की मृत्यु का शोक हरनेवाला, सम्पत्तिनाश से होनेवाला दुःख मिटानेवाला, दरिद्रतानाशक और व्यापार की कला सिखानेवाला है। 


१५.यह फिज़ूलखर्च मिटानेवाला, आमदनी बढानेवाला, बरकत करनेवाला, सिखानेवाला, कञ्जूसी मिटानेवाला, सदुपयोग सिखानेवाला, लक्ष्मी लानेवाला और सौभाग्य बढ़ानेवाला है। 


१६.यह मनोमालिन्य मिटानेवाला, सास-बहू में प्रेम बढ़ानेवाला, दाम्पत्य जीवन सुखमय करनेवाला, वंशवृद्धि करनेवाला, बाल बच्चों को मृत्यु से बचानेवाला और बहन बेटी की रक्षा करनेवाला है। 


१७.श्री स्वामी जी महाराज का सत्संग माता- पिता, सास- ससुर आदि की सेवा करवानेवाला, शारीरिक कष्ट मिटानेवाला, जादू-टोना, देवी-देवता, प्रेत-पितर, भूत-पिशाच आदि का भय मिटानेवाला, बहम का दुःख मिटानेवाला और मिथ्या भ्रम का निवारण करनेवाला है। 


१८.यह दोषदृष्टिनाशक, स्वभाव सुधारनेवाला, लोक- परलोक सुधारनेवाला, पापी का भी कल्याण करनेवाला और जीवन्मुक्ति प्रदान करनेवाला है। 


१९.यह भगवान् में प्रेम बढानेवाला, भगवद्धाम की प्राप्ति करानेवाला, नित्यप्राप्त की प्राप्ति करवानेवाला और आनन्द- मङ्गल करनेवाला है। 


२०.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का सत्संग खान-पान शुद्ध करनेवाला, शुद्ध आचार-विचार सिखानेवाला, नियम व्रत सिखानेवाला, उत्साह बढ़ानेवाला और निराशा का दुःख मिटानेवाला है। 


२१.यह सत्संग असहाय को सहायता देनेवाला, दुःखों से व्यथित की व्यथा मिटानेवाला, भीतर का दुःख मिटानेवाला और हारेहुए को सहारा देनेवाला है। 


२२.यह सत्संग "जिसका कोई नहीं", उसको सहारा देनेवाला, गरीबों को अपनापन देनेवाला, अपनानेवाला, उदारता सिखानेवाला, कुरीति मिटानेवाला और गिरेहुए को ऊपर उठानेवाला है। 


२३.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का सत्संग सुख की नींद देनेवाला, आपस का मनमुटाव मिटानेवाला, प्रेम करानेवाला, बुराई करनेवाले की भी भलाई करनेवाला, दोष मिटानेवाला, निर्वाह की चिन्ता मिटानेवाला, और आनन्द करनेवाला है। 

 

२४.श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का सत्संग सद्गुण सदाचार लानेवाला, शौचाचार और सदाचार सिखाने वाला है। 

२५. यह चुप-साधन बतानेवाला, अपने स्वरूप से अहंता (मैं-पन,अहंकार) को अलग करके बतानेवाला, अपने अहंरहित स्वरूप का अनुभव करानेवाला और परमात्मतत्त्व में तत्काल स्थिति करानेवाला है। ■

 
● इस प्रकार यह सत्संग और भी अनेक प्रकार से लाभ देनेवाला है, यह तो कुछ दिग्दर्शन है। 

 इसमें और भी कई विलक्षणताएँ भरी हुई है। इससे बङा भारी लाभ होता है। यह भगवान् की बङी कृपा है जो हमलोग उस समय के सत्संग से आज भी वैसा ही लाभ ले सकते हैं। ■


:-- अधिक जानकारी के लिये यह लेख पढ़ें-

"नित्य स्तुति ( प्रार्थना ), गीतापाठ और सत्संग (-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के इकहत्तर दिनों वाले सत्संग- समुदाय का प्रबन्ध )"  -
http://dungrdasram.blogspot.com/2020/11/blog-post.html