मंगलवार, 12 दिसंबर 2017

नित्य-सत्संग का उपाय (श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज का सत्संग)

                               ।।श्रीहरि:।।

नित्य-सत्संग का उपाय- 

(श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज का सत्संग, इकहत्तर दिनों वाली नित्य स्तुति, गीतापाठ,हरिःशरणम् और प्रवचन- शृंखला आदि,चारों श्रीस्वामीजी महाराज की आवाज़ में)।

जिनको रोजाना श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज का प्रातः पाँच बजे वाला सत्संग चाहिये उनके लिये यह इकहत्तर दिनों वाला सेट भेजा जा रहा है। इसको अपने मोबाइल में सेव करलें। इसके द्वारा उम्रभर नित्य सत्संग किया जा सकता है। 

जो नित्य नया प्रवचन सुनना चाहते हों उनको चाहिये कि इसमें प्रवचन की जगह अपने मन पसन्द का प्रवचन लगाकर सुनलें और इस प्रकार नित्य सत्संग का आनन्द लेते रहें। 

इस (नित्य स्तुति आदि) को एक बार शुरु कर देने पर नित्य स्तुति के बाद अपने आप गीता जी के दस-दस श्लोकों का (रोजाना)  क्रमशः पाठ आ जायेगा, हरि:शरणम् हरि: शरणम्  आदि कीर्तन आ जायेगा तथा सत्संग शुरु हो जायेगा।

इसमें विलक्षणता यह है कि ये सब श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज की ही आवाज़ में है इसलिये यह अत्यन्त लाभकारी है।

वो यहाँ से (इस पते पर जाकर) प्राप्त करें- 


(३) नित्य स्तुति ( प्रार्थना ), गीतापाठ और सत्संग (-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के इकहत्तर दिनों वाले सत्संग- समुदाय का प्रबन्ध ) ।।
अबकी बार वाले सत्संग-प्रबन्ध में साफ़ आवाज़ वाला गीतापाठ, नये चुने हुए प्रवचन, उनके विषय और सूची, तथा अधिक जानकारी आदि और कुछ अधिक विशेषताएँ जोङी गई है। जिससे यह अधिक उपयोगी, रुचिकर और सुगम हो गया है। 

यह इस पते पर निःशुल्क उपलब्ध है- ( bit.ly/PRARTHANA_GEETAPATH


(१) (१)नित्य-स्तुति गीता-पाठ सत्संग- श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज(७१ दिनोंकी)।
https://drive.google.com/folderview?id=1VjtgaKp9T4jAIDpy4eMsdy1C9cq38xVh

(२)इकहत्तर (71) दिनों का सत्संग समूह -
01.@NITYA-STUTI,GITA,SATSANG -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ@ (हरिशरणम् साफ आवाज वाली)  https://drive.google.com/folderview?id=0B0caSyar5jaDYWFUS2NiNWtvQkk 

सत्संग के और पते,ठिकाने-

 4- श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज

                            की
                      सत्संग-सामग्री
               ( 16 GB मेमोरी-कार्ड में ) - ]

(4-) bit.ly/1satsang और bit.ly/1casett 


(5-)
एक ही फाइल में सम्पूर्ण गीतापाठ ( विष्णुसहस्रनामसहित)
इस पते पर उपलब्ध है- bit.ly/SampoornaGitapathSRAMSUKHDASJIM, तथा यहाँ लगभग सवादो घंटे में सम्पूर्ण गीतापाठ ( द्रुतगति में ) भी उपलब्ध है। 

(6-) 

 नित्य स्तुति ( प्रार्थना ), गीतापाठ और सत्संग (-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के इकहत्तर दिनों वाले सत्संग- समुदाय का प्रबन्ध )-bit.ly/PRARTHANA_GEETAPATH



(1-) http://db.tt/v4XtLpAr

(2-) http://www.swamiramsukhdasji.org 

(3-) http://goo.gl/28CUxw 

 
अधिक जानने के लिए कृपया यह लेख पढें-

१.नित्य-स्तुति, गीता और सत्संग (-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के इकहत्तर दिनों वाला सत्संग-प्रवचनों का सेट) ।।

http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_8.html 

प्रवचनों की तारीख और नाम हटाना अपराध है

                    ।। श्रीहरि:।।

प्रवचनों की तारीख और नाम हटाना अपराध है ।

आजकल श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के सत्संग- प्रवचनों पर ध्यान देना चाहिए कि उनमें से तारीख और श्री महाराज जी का नाम तो नहीं हटा दिया गया है?।
...

श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के इन प्रवचनों में से तारीख हटा दी गयी है और श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज का नाम भी इन प्रवचनों में से हटा दिया गया है। यह किसी ने महान अपराध किया है; क्योंकि प्रवचनों के अन्दर तारीख रिकोर्ड करने की व्यवस्था स्वयं श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज ने करवायी है।
मेरे (डुँगरदास राम के) सामने की बात है कि महाराज जी से पूछा गया कि प्रवचन की कैसेटों पर लिखी हुई तारीख कभी-कभी साफ नहीं दीखती। मिट भी जाती है। लिखने में भी भूल से दूसरी तारीख लिख दी जाती है। ऐसे में सही तारीख का पता कैसे लगे? इसके लिये क्या करें?
तब श्री महाराज जी बोले कि प्रवचन के साथ ही (भीतर) में रिकोर्ड करदो (अगर ऊपर, तारीख लिखने में भूल हो जायेगी तो भीतरवाली रिकोर्ड सुनकर पकङी जायेगी,सही तारीखका पता लग जायेगा)। तब से ऐसा किया जाने लगा। इन प्रवचनों की भीतर से तारीख हटा कर किसी ने महाराज जी की वो व्यवस्था भंग की है। जो इसको आगे बढ़ाते हैं। एक प्रकार से वो भी इस अपराध में सामिल है।

इसलिए आज से ही ऐसे प्रवचन इस ग्रुप में न भेजें।
यह ऐसे हमें स्वीकार नहीं है।
आप जो रोजाना श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के नाम से पाँच बजे वाली सत्संग ग्रुपों में भेजते हो, भीतर से तारीख हटा देने के कारण हम उसका बहिष्कार करते हैं।  सच्चे सत्संगियों को भी हमारी यही सलाह है। 

श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज के प्रवचनों साथ तारीख रहना आवश्यक है और उपयोगी भी है। जैसे, श्री स्वामीजी महाराज की कोई बात हमको बढ़िया लगी और हम उस बात को ठीक से समझने के लिये मूल प्रवचन सुनना चाहते हैं तो उस तारीख के अनुसार खोजकर वो प्रवचन सुन लेंगे,समझ लेंगे। अब अगर उस प्रवचन की तारीख ही हटा दी गयी,तो कैसे खोजेंगे और क्या सुनेंगे? कैसे समझेंगे? 


 इसलिये प्रवचनों के ऊपर लिखी गयी तारीख और भीतर रिकोर्ड की गयी तारीख- दोनों रहनें दें,हटावें नहीं। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदास जी महाराज का नाम भी उनके प्रवचनों में से हटावें नहीं, रहनें दें। दूसरों को भी यह बात समझावें। 

अधिक जानने के लिए कृपया यह लेख पढें-

लेखक का नाम हटाना या बदलना अपराध है(श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के लेखों और बातों से उनका नाम हटाना अपराध है तथा उनका नाम दूसरों की बातों में जोड़ना भी अपराध है)।
http://dungrdasram.blogspot.in/2016/11/blog-post_17.html?m=1 

    *नित्य-सत्संग का उपाय-*

(जिनको रोजाना श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज का प्रातः पाँच बजे वाला सत्संग चाहिये उनके लिये यह इकहत्तर दिनों वाला सेट भेजा जा रहा है। इसको अपने मोबाइल में सेव करलें। इसके द्वारा उम्रभर नित्य सत्संग किया जा सकता है। 

जो नित्य नया प्रवचन सुनना चाहते हों उनको चाहिये कि इसमें प्रवचन की जगह अपने मन पसन्द का प्रवचन लगाकर सुनलें और इस प्रकार नित्य सत्संग का आनन्द लेते रहें। 

इस (नित्य स्तुति आदि) को एक बार शुरु कर देने पर नित्य स्तुति के बाद अपने आप गीता जी के दस-दस श्लोकों का (रोजाना)  क्रमशः पाठ आ जायेगा, हरि:शरणम् हरि: शरणम्  आदि कीर्तन आ जायेगा तथा सत्संग शुरु हो जायेगा।

इसमें विलक्षणता यह है कि ये सब श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज की ही आवाज़ में है जो अत्यन्त लाभकारी है।
 
अधिक जानने के लिए कृपया यह लेख पढें- 

नित्य-स्तुति (प्रार्थना) गीतापाठ और सत्संग- 

 http://dungrdasram.blogspot.com/2020/11/blog-post.html 

१.नित्य-स्तुति, गीता और सत्संग (-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के इकहत्तर दिनों वाला सत्संग-प्रवचनों का सेट) ।।  

http://dungrdasram.blogspot.in/2014/12/blog-post_8.html?m=1 )।