इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
प्रातः पाँच बजे श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें (रिकार्डिंग वाणीके साथ-साथ) नित्य-स्तुति,प्रार्थना और दस श्लोक गीताजीके पाठ कर लेनेके बाद यह -हरिः शरणम् (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें ही) सुनें और साथ-साथ बोलें,इसके बाद सत्संग जरूर सुनें(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग सुनें)। http://apps.facebook.com/drowninthemusic/download.php?uid=131344318720&track=33&random=997999690 तथा 1.www.swamiramsukhdasji.org/swamijicontent/ देखें।
हमारे आदरणीय महोदय, आपको हम @दस-दस श्लोकी गीता-पाठ@(मोबाइल) -श्रध्देय स्वा. श्रीरामसुखदासजी महाराज 10.10.S.G.P भेज रहे हैं,यह आज संशोधनका अन्तिम रूप है और महत्त्वपूर्ण है, श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके वर्तमान समयमें प्रतिदिन सबेरे पाँच बजते ही नित्य-स्तुति,प्रार्थना होती थी फिर गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ होता था और पाठके बादमें हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन होता था.इन सबमें करीब अठारह या बीस मिनिट लगते थे.इतनेमें श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज पधार जाते थे और सत्संग (प्रवचन) सुनाते थे जो प्रायः छःह(6) बजेसे 13 या17 मिनिट पहले ही समाप्त हो जाता था,यह सत्संग-परोग्राम कम समयमें ही सारगर्भित और अत्यन्त कल्याणकारी था.वो सब हम आज भी और उनकी ही वाणीमें सुन सकते हैं और साथ-साथ कर भी सकते हैं,इस(10-10श्लोकी गीता-पाठ)में वो सहायक-सामग्री है,इसलिये यह लघु-प्रयास किया गया है.सज्जनोंसे निवेदन है कि श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके समयमें जैसे सत्संग होता था,वैसे ही आज भी करनेका प्रयास करें.इस बीचमें कोई अन्य-प्रोग्राम न जोङें. नित्य-स्तुति प्रार्थना,गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ और हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन भी उनकी ही आवाजके साथ-साथ करेंगे तो अप्रकट और प्रकटरूपमें अत्यन्त लाभ होगा.शेष भगवत्कृपा.आपका शुभ-चिन्तक...
प्रसिध्द संत, श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्धगवद्गीता पर हिन्दी भाषामें एक सरल टीका लिखि है,जिसका नाम है- साधक-संजीवनी।इसका अनेक भारतीय भाषाऔंमें और अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओंमें भी अनुवाद हो चूका है तथा प्रकाशन भी हो चूका है।जिन्होने ध्यानसे मन लगाकर पढा है,वे इस विषयमें कुछ जानते हैं और जिनको गीताजीका वास्तविक अर्थ और रहस्य समझना हो,उनको चाहिये कि वे एक बार इसको समझ-समझकर पढे लेवें।
प्रातः पाँच बजे श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें (रिकार्डिंग वाणीके साथ-साथ) नित्य-स्तुति,प्रार्थना और दस श्लोक गीताजीके पाठ कर लेनेके बाद यह -हरिः शरणम् (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें ही) सुनें और साथ-साथ बोलें,इसके बाद सत्संग जरूर सुनें(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग सुनें)।
नित्य-स्तुति,गीता,सत्संग-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज(71दिनोंका सत्संग-प्रवचन सेट) ।। श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके वर्तमान समयमें प्रतिदिन सबेरे पाँच बजते ही नित्य-स्तुति,प्रार्थना होती थी फिर गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ होता था और पाठके बादमें हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन होता था.इन सबमें करीब अठारह या बीस मिनिट लगते थे.इतनेमें श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज पधार जाते थे और सत्संग (प्रवचन) सुनाते थे जो प्रायः छःह(6) बजेसे 13 या17 मिनिट पहले ही समाप्त हो जाते थे,यह सत्संग-परोग्राम कम समयमें ही सारगर्भित और अत्यन्त कल्याणकारी था। वो सब हम आज भी और उनकी ही वाणीमें सुन सकते हैं और साथ-साथ कर भी सकते हैं,इस(1.@NITYA-STUTI,GITA,SATSANG -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ@नित्य-स्तुति,गीता,सत्संग-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज(71दिनोंका सत्संग-प्रवचन सेट) ।।)में वो सहायक-सामग्री है,इसलिये यह प्रयास किया गया है.सज्जनोंसे निवेदन है कि श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके समयमें जैसे सत्संग होता था,वैसे ही आज भी करनेका प्रयास करें.इस बीचमें कोई अन्य-प्रोग्राम न जोङें. नित्य-स्तुति प्रार्थना,गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ और हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन भी उनकी ही आवाजके साथ-साथ करेंगे तो अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूपमें अत्यन्त लाभ होगा।।शेष भगवत्कृपा.आपका शुभ-चिन्तक...
प्रसिध्द संत, श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्भगवद्गीता पर हिन्दी भाषामें एक सरल टीका लिखि है,जिसका नाम है- साधक-संजीवनी।इसका अनेक भारतीय भाषाओंमें और अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओंमें भी अनुवाद हो चूका है तथा प्रकाशन भी हो गया है।जिन्होने ध्यानसे मन लगाकर पढा है,वे इस विषयमें कुछ जानते हैं और जिनको गीताजीका वास्तविक अर्थ और रहस्य समझना हो,उनको चाहये कि वे एक बार इसको समझ-समझकर पढे लेवें। (यह साधक-संजीवनी ग्रंथ तथा उनके और भी ग्रंथ गीताप्रेस गोरखपुरसे पुस्तकरूपमें और इंटरनेट पर उपलब्ध है और ये कम्प्यूटर, टेबलेट,मोबाइल आदि पर पढने लायक अलगसे भी उपलब्ध है।)सीताराम
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सोलह वर्षोंके तो लगातार (1990 से 2005 तक) सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है और इससे पहलेके(1975 से 1989 तकके) कई छुटपुट सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है.इन (1975-2005)में कई प्रवचनोंके साथ उनके विषय भी लिखे हुए हैं.इनके सिवाय श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाजकी आवाजमें कई भजन,कीर्तन,नानीबाईका मायरा,विष्णुसहस्रनाम-पाठ,गीता-माधुर्य,गीता-गान(सामूहिक गीता-पाठ),गीता-पाठ, गीता-व्याख्या (करीब पैंतीस दिन तकका सेट, जिसमें पूरी गीताजी समझायी गई है),मानसमें नाम-वन्दना आदि कल्याणकारी उपयोगी-सामग्री उपलब्ध है.इस प्रकार ये सारी सामग्रियाँ इण्टरनेट पर उपलब्ध नही है.किसीको चाहिये तो कम्प्यूटरसे कोपी करके नि:शुल्क दी जा सकती है. डुँगरदास राम गाँव पोस्ट चाँवण्डिया जिला नागौर राजस्थान(भारत).मोबाइल नं०9414722389 तथा ई-मेल एड्रेस है- DUNGRDAS@GMAIL.COM और ब्लाँगका नाम है- सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सोलह वर्षोंके तो लगातार (1990 से 2005 तक) सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है और इससे पहलेके(1975 से 1989 तकके) कई छुटपुट सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है.इन (1975-2005)में कई प्रवचनोंके साथ उनके विषय भी लिखे हुए हैं.इनके सिवाय श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाजकी आवाजमें कई भजन,कीर्तन,नानीबाईका मायरा,विष्णुसहस्रनाम-पाठ,गीता-माधुर्य,गीता-गान(सामूहिक गीता-पाठ),गीता-पाठ, गीता-व्याख्या (करीब पैंतीस दिन तकका सेट, जिसमें पूरी गीताजी समझायी गई है),मानसमें नाम-वन्दना आदि कल्याणकारी उपयोगी-सामग्री उपलब्ध है.इस प्रकार ये सारी सामग्रियाँ इण्टरनेट पर उपलब्ध नही है.किसीको चाहिये तो कम्प्यूटरसे कोपी करके नि:शुल्क दी जा सकती है. डुँगरदास राम गाँव पोस्ट चाँवण्डिया जिला नागौर राजस्थान(भारत).मोबाइल नं०9414722389 तथा ई-मेल एड्रेस है- DUNGRDAS@GMAIL.COM और ब्लाँगका नाम है- सत्संग-संतवाणी.
हरिः शरणम् हरिः शरणम् हरिः शरणम् हरिः शरणम्।
जवाब देंहटाएंप्रातः पाँच बजे श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें (रिकार्डिंग वाणीके साथ-साथ) नित्य-स्तुति,प्रार्थना और दस श्लोक गीताजीके पाठ कर लेनेके बाद यह -हरिः शरणम् (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें ही) सुनें और साथ-साथ बोलें,इसके बाद सत्संग जरूर सुनें(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग सुनें)।
जवाब देंहटाएंhttp://apps.facebook.com/drowninthemusic/download.php?uid=131344318720&track=33&random=997999690 तथा 1.www.swamiramsukhdasji.org/swamijicontent/ देखें।
बेद पुरान संत मत एहू।
जवाब देंहटाएंसकल सुकृत फल राम सनेहू।।
हमारे आदरणीय महोदय, आपको हम @दस-दस श्लोकी गीता-पाठ@(मोबाइल) -श्रध्देय स्वा. श्रीरामसुखदासजी महाराज 10.10.S.G.P भेज रहे हैं,यह आज संशोधनका अन्तिम रूप है और महत्त्वपूर्ण है, श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके वर्तमान समयमें प्रतिदिन सबेरे पाँच बजते ही नित्य-स्तुति,प्रार्थना होती थी फिर गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ होता था और पाठके बादमें हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन होता था.इन सबमें करीब अठारह या बीस मिनिट लगते थे.इतनेमें श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज पधार जाते थे और सत्संग (प्रवचन) सुनाते थे जो प्रायः छःह(6) बजेसे 13 या17 मिनिट पहले ही समाप्त हो जाता था,यह सत्संग-परोग्राम कम समयमें ही सारगर्भित और अत्यन्त कल्याणकारी था.वो सब हम आज भी और उनकी ही वाणीमें सुन सकते हैं और साथ-साथ कर भी सकते हैं,इस(10-10श्लोकी गीता-पाठ)में वो सहायक-सामग्री है,इसलिये यह लघु-प्रयास किया गया है.सज्जनोंसे निवेदन है कि श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके समयमें जैसे सत्संग होता था,वैसे ही आज भी करनेका प्रयास करें.इस बीचमें कोई अन्य-प्रोग्राम न जोङें. नित्य-स्तुति प्रार्थना,गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ और हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन भी उनकी ही आवाजके साथ-साथ करेंगे तो अप्रकट और प्रकटरूपमें अत्यन्त लाभ होगा.शेष भगवत्कृपा.आपका शुभ-चिन्तक...
जवाब देंहटाएंप्रसिध्द संत, श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्धगवद्गीता पर हिन्दी भाषामें एक सरल टीका लिखि है,जिसका नाम है- साधक-संजीवनी।इसका अनेक भारतीय भाषाऔंमें और अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओंमें भी अनुवाद हो चूका है तथा प्रकाशन भी हो चूका है।जिन्होने ध्यानसे मन लगाकर पढा है,वे इस विषयमें कुछ जानते हैं और जिनको गीताजीका वास्तविक अर्थ और रहस्य समझना हो,उनको चाहिये कि वे एक बार इसको समझ-समझकर पढे लेवें।
जवाब देंहटाएंअपनी मौज चलै अरु बैठे आश्रम वरण उलांगी।
जवाब देंहटाएंऐका एकी बिचरत ऐसे जग बन सिंघ बैरागी।।
--श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज
प्रातः पाँच बजे श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें (रिकार्डिंग वाणीके साथ-साथ) नित्य-स्तुति,प्रार्थना और दस श्लोक गीताजीके पाठ कर लेनेके बाद यह -हरिः शरणम् (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें ही) सुनें और साथ-साथ बोलें,इसके बाद सत्संग जरूर सुनें(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग सुनें)।
हटाएंअपनी मौज चलै अरु बैठे आश्रम वरण उलांगी।
जवाब देंहटाएंऐका एकी बिचरत ऐसे जग बन सिंघ बैरागी।।
--श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज
www.swamiramsukhdasji.org
जवाब देंहटाएंनित्य-स्तुति,गीता,सत्संग-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज(71दिनोंका सत्संग-प्रवचन सेट) ।। श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके वर्तमान समयमें प्रतिदिन सबेरे पाँच बजते ही नित्य-स्तुति,प्रार्थना होती थी फिर गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ होता था और पाठके बादमें हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन होता था.इन सबमें करीब अठारह या बीस मिनिट लगते थे.इतनेमें श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज पधार जाते थे और सत्संग (प्रवचन) सुनाते थे जो प्रायः छःह(6) बजेसे 13 या17 मिनिट पहले ही समाप्त हो जाते थे,यह सत्संग-परोग्राम कम समयमें ही सारगर्भित और अत्यन्त कल्याणकारी था। वो सब हम आज भी और उनकी ही वाणीमें सुन सकते हैं और साथ-साथ कर भी सकते हैं,इस(1.@NITYA-STUTI,GITA,SATSANG -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ@नित्य-स्तुति,गीता,सत्संग-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज(71दिनोंका सत्संग-प्रवचन सेट) ।।)में वो सहायक-सामग्री है,इसलिये यह प्रयास किया गया है.सज्जनोंसे निवेदन है कि श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके समयमें जैसे सत्संग होता था,वैसे ही आज भी करनेका प्रयास करें.इस बीचमें कोई अन्य-प्रोग्राम न जोङें. नित्य-स्तुति प्रार्थना,गीताजीके करीब दस श्लोकोंका पाठ और हरिःशरणम् हरिःशरणम् आदि कीर्तन भी उनकी ही आवाजके साथ-साथ करेंगे तो अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूपमें अत्यन्त लाभ होगा।।शेष भगवत्कृपा.आपका शुभ-चिन्तक...
जवाब देंहटाएंप्रसिध्द संत, श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्भगवद्गीता पर हिन्दी भाषामें एक सरल टीका लिखि है,जिसका नाम है- साधक-संजीवनी।इसका अनेक भारतीय भाषाओंमें और अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओंमें भी अनुवाद हो चूका है तथा प्रकाशन भी हो गया है।जिन्होने ध्यानसे मन लगाकर पढा है,वे इस विषयमें कुछ जानते हैं और जिनको गीताजीका वास्तविक अर्थ और रहस्य समझना हो,उनको चाहये कि वे एक बार इसको समझ-समझकर पढे लेवें। (यह साधक-संजीवनी ग्रंथ तथा उनके और भी ग्रंथ गीताप्रेस गोरखपुरसे पुस्तकरूपमें और इंटरनेट पर उपलब्ध है और ये कम्प्यूटर, टेबलेट,मोबाइल आदि पर पढने लायक अलगसे भी उपलब्ध है।)सीताराम
जवाब देंहटाएंश्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सोलह वर्षोंके तो लगातार (1990 से 2005 तक) सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है और इससे पहलेके(1975 से 1989 तकके) कई छुटपुट सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है.इन (1975-2005)में कई प्रवचनोंके साथ उनके विषय भी लिखे हुए हैं.इनके सिवाय श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाजकी आवाजमें कई भजन,कीर्तन,नानीबाईका मायरा,विष्णुसहस्रनाम-पाठ,गीता-माधुर्य,गीता-गान(सामूहिक गीता-पाठ),गीता-पाठ, गीता-व्याख्या (करीब पैंतीस दिन तकका सेट, जिसमें पूरी गीताजी समझायी गई है),मानसमें नाम-वन्दना आदि कल्याणकारी उपयोगी-सामग्री उपलब्ध है.इस प्रकार ये सारी सामग्रियाँ इण्टरनेट पर उपलब्ध नही है.किसीको चाहिये तो कम्प्यूटरसे कोपी करके नि:शुल्क दी जा सकती है. डुँगरदास राम गाँव पोस्ट चाँवण्डिया जिला नागौर राजस्थान(भारत).मोबाइल नं०9414722389 तथा ई-मेल एड्रेस है- DUNGRDAS@GMAIL.COM और ब्लाँगका नाम है- सत्संग-संतवाणी.
जवाब देंहटाएंश्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सोलह वर्षोंके तो लगातार (1990 से 2005 तक) सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है और इससे पहलेके(1975 से 1989 तकके) कई छुटपुट सत्संग-प्रवचन उपलब्ध है.इन (1975-2005)में कई प्रवचनोंके साथ उनके विषय भी लिखे हुए हैं.इनके सिवाय श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाजकी आवाजमें कई भजन,कीर्तन,नानीबाईका मायरा,विष्णुसहस्रनाम-पाठ,गीता-माधुर्य,गीता-गान(सामूहिक गीता-पाठ),गीता-पाठ, गीता-व्याख्या (करीब पैंतीस दिन तकका सेट, जिसमें पूरी गीताजी समझायी गई है),मानसमें नाम-वन्दना आदि कल्याणकारी उपयोगी-सामग्री उपलब्ध है.इस प्रकार ये सारी सामग्रियाँ इण्टरनेट पर उपलब्ध नही है.किसीको चाहिये तो कम्प्यूटरसे कोपी करके नि:शुल्क दी जा सकती है. डुँगरदास राम गाँव पोस्ट चाँवण्डिया जिला नागौर राजस्थान(भारत).मोबाइल नं०9414722389 तथा ई-मेल एड्रेस है- DUNGRDAS@GMAIL.COM और ब्लाँगका नाम है- सत्संग-संतवाणी.
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