नम्र निवेदन("श्रीस्वामीजी महाराजकी यथावत्- वाणी " नामक पुस्तक का)। लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मंगलवार, 30 जुलाई 2019

"श्रीस्वामीजी महाराजकी यथावत्- वाणी" ; नामक पुस्तक और नम्र निवेदन।

                 ।। श्री हरिः ।।

     

"श्रीस्वामीजी महाराजकी यथावत्- वाणी" ; नामक पुस्तक और 

  ■ *नम्र निवेदन* ■ 

श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज ने समय- समय पर जो अनेक सत्संग- प्रवचन किये हैं । उनमें से कई प्रवचनों की विशाल रिकोर्डिंग- सामग्री उपलब्ध है । इनमें से कुछ प्रवचनों का यथावत् लेखन करके इस पुस्तक ("श्रीस्वामीजी महाराजकी यथावत्- वाणी" )  में संग्रह किया गया है ।

सत्संग प्रवचन करते समय जैसे- जैसे श्री स्वामीजी महाराज बोले हैं , वैसा का वैसा ही लिखने की कोशिश की गयी है अर्थात् इसमें यह ध्यान रखा गया है कि जो वाणी वो महापुरुष बोले हैं , उसको वैसे के वैसे ही लिखा जाय । अपनी होशियारी न लगाई जाय । उस वाणी के कोई भी वाक्य और शब्द आदि छूटे नहीं । उनके द्वारा बोले गये शब्द और वाक्य आदि बदलें नहीं , जैसे वो बोले हैं वैसे- के- वैसे ही लिखे जायँ- ऐसा प्रयास किया गया है ।

महापुरुषों द्वारा बोली गयी प्रामाणिक, आप्तवाणी को लिखने में ईमानदारी पूर्वक सत्यता का ध्यान रखा गया है कि जैसे- जैसे वो बोले हैं , वैसे के वैसे ही लिखा जाय , कुछ फेर- बदल न किया जाय। इससे यह लिखी हुई वाणी अत्यन्त विश्वसनीय और उपयोगी हो गयी है तथा समझने में और भी सुगम हो गयी है । जब भगवान् की बङी भारी कृपा होती है तब महापुरुषों की हू-ब-हू , यथावत् वाणी मिलती है और उससे बङा भारी लाभ होता है ।

जहाँ मारवाड़ी भाषा आदि के कुछ कठिन शब्द और वाक्य आदि आये हैं, उनके कुछ भाव और अर्थ कोष्ठक (ब्रैकेट) में दिये गये हैं। कहीं- कहीं विषय को सरल बनाने के लिये भी कोष्ठक का उपयोग किया गया है। इस प्रकार यह बहुत ही उपयोगी और लाभदायक संग्रह है। 

  सभी सत्संगी सज्जनों से नम्र निवेदन है कि महापुरुषों के सत्संग- प्रवचनों को इसी प्रकार ईमानदारी पूर्वक यथावत् लिखकर या लिखवाकर और भी पुस्तकें छपवावें और इस प्रकार दुनियाँ का तथा अपना वास्तविक हित करें ।

(इसके बाद इसमें कुछ और उपयोगी सामग्री जोङी गई है ) । 

इसमें जो अच्छाइयाँ हैं , वो उन महापुरुषों की है और लेखन आदि में जो त्रुटियाँ है , वो मेरी व्यक्तिगत है । सज्जन लोग त्रुटियों की तरफ ध्यान न देकर अच्छाई की तरफ ध्यान देंगे- ऐसी आशा है ।

इस पुस्तक में ये लेख हैं-
1-
नम्र निवेदन ,
2-
अन्तिम प्रवचन ,
3-
सीखने की बात और सरलता से भगवत्प्राप्ति ,
4-
सेठजी श्री जयदयाल जी गोयन्दका की विलक्षणता ,
5-
जानने योग्य जानकारी (श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज के विषय में) ,
6-
सत्संग सामग्री ,
7-
पाँच खण्डों में गीता साधक संजीवनी ,
8-
नित्य स्तुति और सत्संग ,
9-
ग्यारह चातुर्मासों के प्रवचनों की विषय सूची

आदि आदि ।

श्री स्वामीजी महाराज के प्रवचनों को यथावत् लिखकर प्रकाशित की गयी आजतक की यह पहली पुस्तक है ।

इसमें और भी उपयोगी सामग्री है ।
तथा इसके साथ श्रीस्वामीजी महाराज के सन् १९९० से लेकर सन् २००० तक के ग्यारह चातुर्मासों के प्रवचनों की विषय सूची (अंग्रेजी और हिन्दी में ) भी दी गयी है ।

सत्संग- प्रेमी सज्जनों के लिये यह पुस्तक बङे कामकी है । इसका अध्ययन करके अधिक से अधिक लाभ लेना चाहिये और दूसरों को भी बताना चाहिये ।

निवेदक-
डुँगरदास राम

                      श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
                   शनिवार, संमत २०७६ 


-  ( इस पुस्तक का पता-) https://drive.google.com/file/d/168AH486VS05kutfemS3YtAAx6Hr50ZGY/view?usp=drivesdk