सत्संगसे बहुत ज्यादा लाभ-
('श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज')
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यह बात जरूर है कि संतोंसे लाभ बहुत होता है।संत-महात्माओंसे बहुत लाभ होता है।मैं कहता हूँ कि (कोई)साधन करे ऐकान्तमें खूब तत्परतासे,उससे भी लाभ होता है;पर सत्संगसे लाभ बहुत ज्यादा होता है।साधन करके अच्छी,ऊँची स्थिति प्राप्त करना कमाकर धनी बनना है और सत्संगमें गोद चला जाय( गोद चले जाना है)।साधारण आदमी लखपतिकी गोद चला जाय तो लखपति हो जाता है,उसको क्या जोर आ या।कमाया हुआ धन मिलता है।इस तरह सत्संगमें मार्मिक बातें बिना सोचे-समझे(मिलती है),बिना मेहनत किये बातें मिलती है।कोई उध्दार चाहे तो मेरी दृष्टिमें सत्संग सबसे ऊँचा(साधन) है।भजनसे,जप- कीर्तनसे,सबसे लाभ होता है,पर सत्संगसे बहुत ज्यादा लाभ होता है।विशेष परिवर्तन होता है। बड़ी शान्ति मिलती है।भीतरकी, हृदयकी गाँठें खुल जाती है एकदम$$साफ-साफ दीखने लगता है।तो सत्संगसे (बहुत)ज्यादा लाभ होता है।
सत्संग सुनानेका सेठजीको बहुत शौक था…।
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'श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'द्वारा दिये गये दि. 19951205/830 बजेके सत्संग-प्रवचनसे।
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सत्संग-संतवाणी. श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें। http://dungrdasram.blogspot.com/