मंगलवार, 3 नवंबर 2015

कुछ लेखों और प्रवचनोंके पते-ठिकाने-(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी सत्संग-सामग्री)।

                      ॥श्रीहरि:॥

कुछ लेखों और प्रवचनोंके पते-ठिकाने-

(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी सत्संग-सामग्री)।

@सत्संग-संतवाणी@                            

सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें। http://dungrdasram.blogspot.com/

@महापुरुषों के सत्संग की बातें @ ('श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज' के श्रीमुखके भाव)। -
http://dungrdasram.blogspot.in/p/blog-page_94.html?m=1

@सत्संग-संतवाणी@                      

महापुरुषोंके नामका,कामका और वाणीका प्रचार करें तथा उनका दुरुपयोग न करें , रहस्य समझनेके लिये यह लेख पढें - 
http://dungrdasram.blogspot.com/2014/01/blog-post_17.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पहले गीता-पाठका पता-स्वर(-आवाज)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज |
http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_15.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

दूसरी प्रकारके गीता-पाठका पता-स्वर(-आवाज)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज |
http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_17.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

गीता-व्याख्या।व्याख्याता-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी  महाराज। http://dungrdasram.blogspot.com/2013/08/blog-post_14.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

गीता-माधुर्य(की रिकोर्डिंगका पता-)[लेखक और स्वर (बोलनेवाले)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज]। http://dungrdasram.blogspot.com/2013/08/blog-post_7302.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पता-नानीबाईका माहेरा (गायक- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)| http://dungrdasram.blogspot.com/2013/08/blog-post_28.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पुराने-प्रवचन शतक('श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज')। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_53.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

प्रवचनोंकी तारीखें लिखनेका क्रम समझलें।(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके 'प्रवचन-समूह'के दिनांक समझलें)। http://dungrdasram.blogspot.com/2015/01/blog-post_16.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पुराने-प्रवचन-परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज के दुर्लभ (छूटे हुए) प्रवचन http://dungrdasram.blogspot.com/2013/09/blog-post_3586.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पाँच श्लोक-पाठ और आवाज|(-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)|   http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_23.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पाँच श्लोक और उनका पाठ करवानेका कारण-एक बार श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज… http://dungrdasram.blogspot.com/2013/08/blog-post_7043.html

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विशेष-प्रवचन-'श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'। http://dungrdasram.blogspot.com/2013/10/blog-post.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पता-'कल्याणके तीन सुगम मार्ग'(पुस्तक- व्याख्या)
लेखक और बोलनेवाले -व्याख्या करनेवाले-
परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज, बीकानेर २००१(2001)l (दिनांक-२००१०१२९ से २००१०२०८तकके प्रवचन)|| http://dungrdasram.blogspot.com/2014/01/2001l.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

हरिःशरणम्(संकीर्तन-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें)! http://dungrdasram.blogspot.com/2013/10/blog-post_383.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

१.नित्य-स्तुति,गीता,सत्संग(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजका इकहत्तर दिनोंका सत्संग-प्रवचन सेट) ।।  http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_8.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

अन्तिम प्रवचन-(ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके आषाढ़ कृष्ण द्वादशी, विक्रम सम्वत-२०६२, तदनुसार ३ जुलाई, २००५ को परमधाम पधारनेके पूर्व दिनांक २९-३० जून, २००५ को गीताभवन, स्वर्गाश्रम(हृषीकेश)में दिये गये अन्तिम प्रवचन) । http://dungrdasram.blogspot.com/2014/07/blog-post_27.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पता-(सत्संग संतवाणीका)… http://dungrdasram.blogspot.com/2014/07/blog-post_97.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

सत्संग-स्वामी रामसुखदासजी महाराज।(के सत्संगके पते-ठिकाने आदि)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_37.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

१-गीता 'साधक-संजीवनी'(लेखक-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज) समझकर-समझकर पढनेसे अत्यन्त लाभ |  http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

गीता "साधक-संजीवनी परिशिष्ट"।लेखक-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_86.html

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'गीता-दर्पण'(लेखक-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज), जो गीताजीका एक अद्वितीय शोधपूर्ण ग्रंथ है,उसको जरूर पढना चाहिये |  http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_6.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

मुख्य-बातें (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज

की मुख्य बातें )। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/04/blog-post_979.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

'साधक-संजीवनी' की विषयसूची (लेखक- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)। http://dungrdasram.blogspot.com/2015/09/blog-post_87.html

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पता-(★-: मेरे विचार :-★श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/07/blog-post_0.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

आवश्यक चेतावनी-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज।  http://dungrdasram.blogspot.com/2014/07/blog-post_13.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

गुरु कैसा हो?-"साधक-संजीवनी"(लेखक-श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराज) १३।७ से। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/08/blog-post.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

पता-(चतुर्दश मन्त्रका) http://dungrdasram.blogspot.com/2014/07/blog-post_26.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

सच्ची और पक्की बात http://dungrdasram.blogspot.com/2014/05/httpswww.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

अपनी फोटोका निषेध क्यों है?(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज अपनी फोटोका निषेध करते थे)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/11/book-google-httpsgroups.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

प्रभुसे प्रार्थना।(लेखक-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)। http://dungrdasram.blogspot.com/2015/02/blog-post_8.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

महापुरुषोंके नामका,कामका और वाणीका प्रचार करें तथा उनका दुरुपयोग न करें , रहस्य समझनेके लिये यह लेख पढें -  http://dungrdasram.blogspot.com/2014/01/blog-post_17.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

सात बार सीता और कुन्तीमाताका नित्यप्रति नाम लेनेसे कन्याएँ श्रेष्ठ बन जातीहै। http://dungrdasram.blogspot.com/2015/07/blog-post_12.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

क्या सुहागन स्त्रियोंको व्रत-उपवास नहीं करने चाहिये? http://dungrdasram.blogspot.com/2015/07/blog-post_11.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

सूवा-सूतकमें भगवानकी पूजा करें अथवा नहीं?

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने बताया है कि करें (बिना प्राण-प्रतिष्ठावाली मूर्तिकी करें)। http://dungrdasram.blogspot.com/2015/08/blog-post_17.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

वोट किसको दें?
सन् 1993 में 3 अक्टूबर रात्रि 8 बजे 'श्रध्देय स्वामीजी रामसुखदासजी महाराज'ने जोधपुरमें बड़े जोरसे कहा है कि जो गऊओंकी रक्षा करे,राममन्दिर और हिन्दुओंके हितका वादा करे;
वोट उसीको दें।
वो प्रवचन सुननेके लिये इस पते(लिंक) पर जायें-

https://www.dropbox.com/sh/mxhiwiqx131rz5m/A60wDKHQc- http://dungrdasram.blogspot.com/2014/04/1993-3-8.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

स्मार्त जन्माष्टमी आदि और वैष्णव जन्माष्टमी,एकादशी आदि  क्या होती है? http://dungrdasram.blogspot.com/2014/08/blog-post_21.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

लहसुन,प्याज और गाजरका निषेध क्यों है? http://dungrdasram.blogspot.com/2014/10/blog-post_5.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

संत-वाणीकी रक्षा करें-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी शीघ्र कल्याणकारी वाणीको सुरक्षित करें,उनमें कोई काँट-छाँट न करें,सेट पूरा रहने दें,अधूरा न करें। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_72.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

संत-वाणी यथावत रहने दें,संशोधन न करें|('श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'की वाणी और लेख यथावत रहने दें,संशोधन न करें)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_30.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

'परम श्रध्देय सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका' और 'श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज' का मिलन। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/11/blog-post_68.html

@सत्संग-संतवाणी@                      

१.गीताजी कण्ठस्थ,याद करनेका उपाय। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_10.html

सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें। http://dungrdasram.blogspot.com/

सत्संग-स्वामी रामसुखदासजी महाराज(के सत्संगके पते-ठिकाने आदि)।

                    ।।श्री हरि:।।

सत्संग-स्वामी रामसुखदासजी महाराज

(के सत्संगके पते-ठिकाने आदि)।

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी  महाराजका सत्संग ( SATSANG GITA AADI -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ ) और गीता-पाठ, गीता-गान(सामूहिक आवृत्ति,साफ आवाज वाली  रिकार्डिंग ), गीता-माधुर्य(उन्हीकी आवाजमें), गीता-व्याख्या(करीब पैंतीस कैसेटोंका सेट), 'कल्याणके तीन सुगम मार्ग'[नामक पुस्तककी उन्हीके द्वारा व्याख्या], नानीबाईका माहेरा, भजन, कीर्तन, पाँच श्लोक(गीता ४/६-१०), तथा नित्य-स्तुति, गीता, सत्संग(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके 71 दिनोंका सत्संग-प्रवचनोंका सेट), मानसमें नाम-वन्दना, राम-कथामें सत्संग आदि तथा इनके सिवाय और भी सामग्री आप यहाँ(के इन पते-ठिकानों ) से मुफ्तमें-निशुल्क प्राप्त करें-

(1-) http://db.tt/v4XtLpAr

(2-) http://www.swamiramsukhdasji.org

(3-) http://goo.gl/28CUxw

नोट-

यहाँ पर श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी पढने योग्य साधक-संजीवनी, साधन-सुधा-सिन्धु, गीता-दर्पण आदि करीब तीस पुस्तकें भी नि:शुल्क उपलब्ध है|

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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें। http://dungrdasram.blogspot.com/

पता-२ का

                       ॥श्रीहरि:॥

१-
@महापुरुषों के सत्संग की बातें @ ('श्रध्देयश्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज' के श्रीमुखके भाव)। -
http://dungrdasram.blogspot.in/p/blog-page_94.html?m=1

२-
महापुरुषोंके नामका,कामका और वाणीका प्रचार करें तथा उनका दुरुपयोग न करें , रहस्य समझनेके लिये यह लेख पढें - -
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रविवार, 1 नवंबर 2015

पता- श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग की बातें(उनके ही श्रीमुखके भाव) यहाँ-इस ठिकानेपर पढें- https://dungrdasram.blogspot.com/2017/08/blog-post.html

                           ॥श्रीहरि:॥

१.

पता (-ठिकाना)-

श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग की बातें(उनके ही श्रीमुखके भाव) यहाँ-इस ठिकाने पर पढें-

@महापुरुषों के सत्संग की बातें @ ('श्रद्धेय  स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज' के श्रीमुखके भाव)। -
https://dungrdasram.blogspot.com/2017/08/blog-post.html

२.

पता-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज के सत्संग की  बातें(उनके ही श्रीमुखके भाव) यहाँ-इस ठिकानेपर पढें-

https://dungrdasram.blogspot.com/2017/08/blog-post.html

शनिवार, 10 अक्टूबर 2015

ज्ञानगोष्ठीके सदस्योंसे चौथी बार निवेदन।

                         ॥श्रीहरि:॥

ज्ञानगोष्ठीके सदस्योंसे चौथी बार निवेदन। 

कृपया ज्ञानगोष्ठी वाले सदस्य ध्यान दें।
१.कई मैसेज एक साथ न भेजें।
२.लम्बे मैसेज न भेजें।
३.जो मैसेज आ चूके,वो बार-बार न भेजें।
४.फालतू मैसेज न भेजें।
५.मनगढंत,कल्पित,असत्य सामग्री न भेजें।
६.बिना प्रमाणकी निराधार सामग्री न भेजें।

आज कल यहाँ ऐसी अनावश्यक सामग्री भेजी जाने लगी है कि जिसको देखनेमें भी समयकी बर्बादी लगती है,पूरा पढना तो और भी दूरकी बात,पढ भी लें तो कुछ हाथ नहीं लगता, दिमागमें उलटे कचरा भरता है।
इसलिये आपलोगोंसे नम्र निवेदन है कि उपरोक्त बातोंपर ध्यान दें,नहीं तो हम सोच रहे हैं यह समूह किसी औरको सम्हलादें।
अथवा आपलोगोंको जैसा चल रहा है,वही ठीक लग रहा हो तो आपलोगोंमेंसे ही कोई इसको सम्हालनेके लिये नियुक्त हो जाइये,हमारे जँची तो हम उसको ही समूहका प्रशासक बना देंगे।

सीताराम सीताराम

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015

जनकजी महाराजने सीता-स्वयंवरमें राजा दशरथजीको निमन्त्रण क्यों नहीं भेजा?

                        ॥श्रीहरि:॥

जनकजी महाराजने सीता-स्वयंवरमें राजा दशरथजीको निमन्त्रण क्यों नहीं भेजा?

किसीने पूछा है कि जनकजी महाराजने सीता-स्वयंवरमें राजा दशरथजीको निमन्त्रण क्यों नहीं भेजा?

(ऐसे प्रश्न लोग श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संगके समय भी करते थे)।

उत्तरमें निवेदन है कि-

राजा जनकजीने सीता-स्वयंवरमें आनेके लिये किसीको भी निमन्त्रण नहीं भेजा था।

उन्होने तो यह प्रतिज्ञा बहुत पहले ही करली थी, जो तीनों लोकोमें प्रसिध्द हो गई थी।

जनकजी महाराजकी प्रतिज्ञा सुन-सुनकर ही सब आये थे।(स्वर्गसे देवता,पृथ्वीमण्डलसे राजागण और पाताल लोकसे राक्षस आदि मनुष्य शरीर धारण करके आये थे)।

जैसा कि रामायणके बालकाण्डके २५१ वें दोहेकी चौपाइयोंमें लिखा है-

दीप दीप के भूपति नाना।
आए सुनि हम जो पनु ठाना॥
देव दनुज धरि मनुज सरीरा।
बिपुल बीर आए रनधीरा॥

इसके पीछे कारणस्वरूप,  मूर्खतायुक्त एक कल्पित कहानी प्रचलित है,जो कहीं लिखी हुई नहीं मिलती।पाठकोंसे निवेदन है कि उस पचड़ेके भ्रममें न पड़ें।

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पता-
सत्संग-संतवाणी.
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रामसुखदासजी महाराजका
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मनसे एक बार रामनाम लेनेसे दसलाख रामनाम-जपका लाभ।

                       ॥श्रीहरि:॥

मनसे एक बार रामनाम लेनेसे
दसलाख रामनाम-जपका लाभ।

(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज कहते हैं कि साथमें चलनेवाली पूँजी है- 'भगवानका नाम लेना'।

रामनाम पूँजी पल्ले बाँधरे मन्ना।
ध्रुव बाँधी प्रह्लाद बाँधी बाँधी जाट धन्ना॥
रामनाम पूँजी पल्ले बाँधरे मना)।

अधिक जाननेके लिये कृपया यह लेख पढें-

स्त्रियोंके लिये ॐनाम लेना मना नहीं है,जप करना ही मना है। http://dungrdasram.blogspot.com/2015/10/blog-post.html


सहसनाम सम सुनि सिव बानी।
जपि जेईं पिय संग भवानी॥…

(रामचरितमा.१।१९;)।

इस प्रकार भगवानके दूसरे नामोंकी अपेक्षा रामनाम हजारगुणा ज्यादा लाभदायक हुआ।

{विधियज्ञसे जपयज्ञ दसगुणा जादा लाभदायक होता है और उपांशुजप(जो होठोंसे किया जाता है,बाहर सुनायी नहीं देता) सौगुणा तथा मानसिकजप हजारगुणा ज्यादा लाभदायक होता है-मनुस्मृति }

वो(१०००-हजारगुणा) रामनाम मुखसे एक बार उच्चारण किया जाय तो (यह जपयज्ञ होनेके कारण) दसगुणा (१००००-दसहजारगुणा) ज्यादा लाभदायक होता है।

उस रामनामका उपांशु जप किया जाय अर्थात् बाहर सुनायी न देनेवाला मुखसे रामरामका उपांशुजप किया जाय तो सौगुणा(१०००००-लाखगुणा) ज्यादा लाभदायक होता है और

मनसे(मानसिक) एक बार रामनाम लिया जाय तो हजारगुणा(१००००००-दस लाखगुणा) ज्यादा लाभदायक होता है।

इस प्रकार यह सिध्द हुआ कि कोई एक बार मनसे रामनाम ले ले तो भगवानके दसलाख रामनाम आ गये (जो कि एक-एक रामनाम हजार भगवन्नमोंके बराबर हैं), अर्थात् एक बार रामका नाम मनसे ले लिया,तो दसलाख रामनामके जप हो गये।

भगवानके दूसरे नामोंका दसलाख बार जप करना और मनसे एक बार रामनाम लेना-इन दोनोंमेंसे एकबार  रामनाम लेना अधिक लाभदायक हुआ।

चाहे दसलाख बार भगवानके दूसरे नाम लो अथवा चाहे एक बार मनसे रामनाम लो,ये दोनों एक ही बात नहीं,अधिक लाभदायक बात हुई।

इसलिये एक बार मनसे रामनाम ले लो, दसलाख जप हो गये,दसलाख रामनाम होगये।

अब हिसाब करो कि जब एक रामनाम हजार भगवन्नामोंके समान है और वो रामनाम मनसे लेनेपर हजारगुणा हो जाता है, तो कितने भगन्नाम हो गये?

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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
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