मंगलवार, 19 नवंबर 2013

संत-वाणीकी रक्षा करें

परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी शीघ्र कल्याणकारी वाणीको सुरक्षित करें,उनमें कोई काँट-छाँट न करें,सेट पूरा रहने दें,अधूरा न करें ...
इसी प्रकार कोई भी फोल्डर,सेट या सामग्री पूरी लोड करनी चाहिये,अधूरी नहीं रखनी चाहिये;क्योंकि ऐसे अधूरी सामग्री लोड करनेसे या कोपी(प्रतिलिपी) करनेसे कभी-कभी वो अधूरी ही रह जाती है| कारण,कि एक तो ऐसी सत्संग आदिकी सामग्रीमें रुचि रखनेवाले लोग कम है और उनमें भी ऐसी जानकारीकी कमी है|
दूसरी बात,कि कई लोग लापरवाही रखनेवाले होते हैं,बेपरवाही करते हैं,अधूरीको पूरी करनेका परिश्रम नहीं करते और कई तो पूरीको भी अधूरी कर देते हैं|इससे बड़ा नुक्सान होता है,महापुरुषोंकी वाणीका सेट बिखरता है और मूल-सामग्री दुर्लभ होती चली जाती है,जिससे लोगोंके कल्याणमें बड़ी कठिनता होती है,जो कि महापुरुषोंको पसन्द नहीं है|
इसलिये महापुरुषोंकी वाणीको यथावत रखनेका प्रयास करना चाहिये,इससे लोगोंको सुगमतासे उत्तम,असली चीज मिल जायेगी और उनका सुगमता-पूर्वक तथा जल्दी कल्याण हो जायेगा||
सीताराम सीताराम ||

रविवार, 27 अक्टूबर 2013

पहले गीता-पाठका पता- स्वर (-आवाज)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज

पहला गीता-पाठ

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें दो प्रकारके
रिकोर्ड किये हुए गीता-पाठ उपलब्ध है।पहले गीता-पाठमें आगे श्री स्वामीजी
महाराज बोलते हैं और पीछे दूसरे लोग दोहराते हैं।
दूसरे प्रकारके गीता-पाठमें सिर्फ श्री स्वामीजी महाराज बोलते(पाठ करते) है।
महापुरुषोंकी वाणीके साथ पाठ करनेवालेको अचिन्त्य-लाभ होता है।
श्री स्वामीजी महाराजकी आवाज(वाणी)के साथ-साथ पाठ करके हम उनके
संगी(सत्संगी) बन जाते हैं।
गीताका प्रचार करनेवाला भगवानको अत्यन्त प्यारा होता है (गीता 18.68,69)।
इस प्रकार हम गीता-प्रचारमें सम्मिलित होकर भगवानके अत्यन्त प्यारे बन जाते हैं।
श्री स्वामीजी महाराजका कहना है कि जितने लोग एक साथ पाठ करते हैं,उतना
ही गुना अधिक लाभ होता है।जैसे,सौ लेग एक साथ बैठकर पाठ करते हैं तो
एक-एकको सौ-सौ गुना अधिक लाभ होगा अर्थात् एक जनेको सौ पाठ करनेका लाभ
होगा,दूसरे आदमीको भी सौ पाठ करनेका लाभ होगा और तीसरे आदमीको भी सौ पाठ
करनेका लाभ होगा।इस प्रकार हम महापुरुषोंके साथ एक पाठ करके सौ पाठ
करनेका लाभ ले लेते हैं।
इसके सिवा और भी अनेक लाभ है।....
पहला गीता-पाठ(नई रिकोर्डिंग) यहाँसे प्राप्त करें - http://db.tt/umrsxMnU

हरिःशरणम्(संकीर्तन-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें)!

हरिःशरणम्(संकीर्तन-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें)!

प्रातः पाँच बजे श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें (रिकार्डिंग वाणीके साथ-साथ) नित्य-स्तुति,प्रार्थना और दस श्लोक गीताजीके पाठ कर लेनेके बाद यह -हरिः शरणम् (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें ही) सुनें और साथ-साथ बोलें,इसके बाद सत्संग जरूर सुनें(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग सुनें) l

हरिःशरणम् यहाँ(इस पते) से प्राप्त करें-
https://db.tt/0b9ae0xg

छःप्रकारके नौकर

काम करनेवाले (नौकर अथवा सेवक) छः प्रकारके होते हैं -
पीर तीर चकरी पथर और फकीर अमीर |
जोय-जोय राखो पुरुष ये गुण देखि सरीर ||

१)पीर -इसे कोई काम कहें तो यह उस बातको काट देता है, २)तीर -इसे कोई काम कहें तो तीरकी तरह भाग जाता है,फिर लौटकर नहीं आता,३)चकरी-यहचक्रकी तरह चट काम करता है,फिर लौटकर आता है,फिर काम करता है|यह उत्तम नौकर होताहै,४)पथर-यह पत्थरकी तरह पड़ा रहता है,कोई काम नहीं करता,५)फकीर-यह मनमें आये तो काम करता है अथवा नहीं करता,६)अमीर-इसे कोई काम कहें तो खुद न करके दूसरेको कह देता है|
(इसलिये मनुष्यको सेवकमें ये गुण देखकर रखना चाहिये)|
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी पुस्तक 'अनन्तकी ओर'से इसका यह अर्थ लिखा गया.

हरिःशरणम्( श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें)

हरिःशरणम्( श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें)|
प्रातः पाँच बजे श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें (रिकार्डिंग वाणीके साथ-साथ) नित्य-स्तुति,प्रार्थना और दस श्लोक गीताजीके पाठ कर लेनेके बाद यह -हरिः शरणम् (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें ही) सुनें और साथ-साथ बोलें,इसके बाद सत्संग जरूर सुनें(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग सुनें) l
हरिःशरणम् यहाँ(इस पते) से प्राप्त करें-
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सोमवार, 21 अक्टूबर 2013

पहला गीता-पाठ इस पतेसे प्राप्त करें-

पहला गीता-पाठ इस पतेसे प्राप्त करें-

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें दो प्रकारके
रिकोर्ड किये हुए गीता-पाठ उपलब्ध है।पहले गीता-पाठमें आगे श्री स्वामीजी
महाराज बोलते हैं और पीछे दूसरे लोग दोहराते हैं।
दूसरे प्रकारके गीता-पाठमें सिर्फ श्री स्वामीजी महाराज बोलते(पाठ करते) है।
महापुरुषोंकी वाणीके साथ पाठ करनेवालेको अचिन्त्य-लाभ होता है।
श्री स्वामीजी महाराजकी आवाज(वाणी)के साथ-साथ पाठ करके हम उनके
संगी(सत्संगी) बन जाते हैं।
गीताका प्रचार करनेवाला भगवानको अत्यन्त प्यारा होता है (गीता 18.68,69)।
इस प्रकार हम गीता-प्रचारमें सम्मिलित होकर भगवानके अत्यन्त प्यारे बन जाते हैं।
श्री स्वामीजी महाराजका कहना है कि जितने लोग एक साथ पाठ करते हैं,उतना
ही गुना अधिक लाभ होता है।जैसे,सौ लेग एक साथ बैठकर पाठ करते हैं तो
एक-एकको सौ-सौ गुना अधिक लाभ होगा अर्थात् एक जनेको सौ पाठ करनेका लाभ
होगा,दूसरे आदमीको भी सौ पाठ करनेका लाभ होगा और तीसरे आदमीको भी सौ पाठ
करनेका लाभ होगा।इस प्रकार हम महापुरुषोंके साथ एक पाठ करके सौ पाठ
करनेका लाभ ले लेते हैं।
इसके सिवा और भी अनेक लाभ है।....
पहला गीता-पाठ यहाँ(इस पते)से प्राप्त करें -
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