||श्री हरिः||
÷सूक्ति-प्रकाश÷
(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि)
•भावार्थ कर्ता-डुँगरदास•
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सूक्ति-०१.
[रातमें] दूजा सोवे,अर साधू पोवे |
अर्थ-
[रात्रिमें]दूसरे सोते हैं और साधू पोते हैं
भावार्थ-
रातमें दूसरे तो सोते हैं और साधू-संत,गृहस्थी संत,साधक आदि पोते हैं अर्थात् भगवद्भजन आदि करते हैं और जिससे दूसरोंका हित हो,कल्याण हो,वो उपाय करते हैं|
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