सोमवार, 2 दिसंबर 2013

÷सूक्ति-प्रकाश÷ -स्वामी रामसुखदास | (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि-)|

                         ||श्री हरिः||      
    
                        ÷सूक्ति-प्रकाश÷

(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि)

•भावार्थ कर्ता-डुँगरदास•

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                 ÷सूक्ति-प्रकाश÷

                स्वामी रामसुखदास

सूक्ति-०१.
[रातमें] दूजा सोवे,अर साधू पोवे |
अर्थ-
[रात्रिमें]दूसरे सोते हैं और साधू पोते हैं
भावार्थ-
रातमें दूसरे तो सोते हैं और साधू-संत,गृहस्थी संत,साधक आदि पोते हैं अर्थात् भगवद्भजन आदि करते हैं और जिससे दूसरोंका हित हो,कल्याण हो,वो उपाय करते हैं|

सूक्ति-०२.

बेळाँरा बायोड़ा मोती नीपजे|

अर्थ-
समय (अवसर) पर बोया हुआ मोती उत्पन्न होता है|
भावार्थ-
समय पर जो काम किया जाता है,वो बहुुत कीमती होता है| जब वर्षा होती है तब खेती करनेवाले जल्दी ही बीज बोनेकी कोशीस करते हैं और कहते हैं कि देर मत करो;गीली,भीगी हुई धरतीमें बीज बो दोगे तो मोतीके के समान कीमती और बढिया फसल होगी|
अगर एक-दो दिनकी भी देरी करदी जाय,तो वैसी फसल नहीं होती;ज्यों-ज्यों देरी होती है,त्यों-त्यों कम होती जाती है|
इसी प्रकार भगवद्भजन,सत्संग आदि शुभ कामोंमें भी देरी नहीं करनी चाहिये|समय पर करनेसे बहुत बड़ा लाभ (परमात्मप्राप्तिका अनुभव) हो जायेगा|

सूक्ति-३.
घेरा घाल्या नींदड़ी, अर भागण लागा अंग|
साधराम अब सो ज्यावो राँड बिगाड़्यो रंग||

सूक्ति-४.
खारियारे खारिया! (थारी) ठण्डी आवे लहर|
लकड़ाँ ऊपर लापसी (पण) पाणी खारो जहर||

भावार्थ-
अरे खारिया गाँव ! तुम्हारी लहर(हवा) तो ठण्डी आती है(खारा पानी  ठण्डा होता है और ठण्डेकी हवा भी ठण्डी होती है),लकड़ियों पर लापसी है(जाळ-पीलवाणके पक्के हुए फल(पीलू) लापसीकी तरह मालुम होते हैं ,पीलवाण पेड़के सहारे पेड़ पर चढ जाती है,अगर वो पेड़ सूखकर लकड़ा जाता है तो भी पीलवाणके कारण हरा दीखता है ),
परन्तु पानी खारा जहर(की तरह) है

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