शनिवार, 11 जुलाई 2015

क्या सुहागन स्त्रियोंको व्रत-उपवास नहीं करने चाहिये?

                   ।।श्रीहरि।।

क्या सुहागन स्त्रियोंको व्रत-उपवास नहीं करने चाहिये? 

एक बहन श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके
दिनांक 13-12-1995/,830 बजेका सत्संग पढकर पूछतीं है कि क्या स्त्रीको व्रत नहीं करना चाहिए?

उसके उत्तरमें निवेदन है -

शास्त्रका कहना है कि

पत्यौ जीवति या तु स्त्री उपवासं व्रतं चरेत् ।
आयुष्यं हरते भर्तुर्नरकं चैव गच्छति ।।

(अर्थ-)

जो स्त्री पति के जीवित रहते उपवास- व्रत का आचरण करती है वह पति की आयु क्षीण करती है और अन्त में नरक में पड़ती है।

(गीताप्रेस के संस्थापक - श्रध्देय सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका द्वारा लिखित
तत्त्व चिन्तामणि, भाग 3,
नारीधर्म, पृष्ठ 291 से)।

इस शास्त्र वचनकी बात सुनकर जब कोई बहन पूछती थीं तो

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज बताते थे कि
सुहागके व्रत (करवाचौथ आदि) कर सकती हैं (इसके लिये मनाही नहीं है)।

कोई पूछतीं कि एकादशी व्रत भी नहीं करना चाहिए क्या? 

तो उत्तर देते कि

एकादशी (आदि) व्रत करना हो तो पतिसे आज्ञा लेकर कर सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें-

http://dungrdasram.blogspot.in/2016/08/blog-post_13.html?m=1 

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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/

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