।।श्रीहरि:।।
साधक-संजीवनी गीतामें किसी मतका खण्डन नहीं किया है- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज।
दि.19950917/830 बजेके प्रवचनमें श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने बताया कि
मैंने गीताकी टीका(साधक-संजीवनी)में किसी मतका खण्डन नहीं किया है।मैंने यह ध्यान रखा है।खण्डन करना न मेरा उध्देश्य है और न मैं खण्डन करना ठीक समझता हूँ। गीताके मूलमें भी यही शैली है(गीता18।2-5)।
http://dungrdasram.blogspot.com/
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें