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शनिवार, 5 दिसंबर 2015

धनसे(पुण्य करनेपर)  पुण्यलोक मिलते हैं,परमात्मा नहीं। (-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)।

                        ॥श्रीहरि॥

धनसे(पुण्य करनेपर)  पुण्यलोक मिलते हैं,परमात्मा नहीं।

(-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)।

धनसे परमात्माकी प्राप्ति नहीं होती है,धनके सदुपयोगसे होती है।

तो सदुपयोग अपने शक्ति है सो(धनकी शक्तिके अनुसार) करो, और वो (परमात्मप्राप्ति) भी वास्तवमें लगनसे(मिलती है)केवल धनसे नहीं मिलती है, धनसे पुण्य होता है, पुण्यलोक प्राप्त होते हैं- क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति (गीता ९।२१-पुण्य खर्च हो जानेपर मृत्युलोकमें आना पड़ता है)

तो भगवानके लिये आप लग जाओ तो भगवानकी प्राप्ति जरूर हो जाय।

मैं तो हे नाथ! आपको ही चाहता हूँ(इस प्रकार) निष्काम भावसे भगवानके भजनमें लग जायँ।…

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके 19940609/830 बजेवाले प्रवचनका अंश(यथावत)।

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सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
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