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सोमवार, 2 सितंबर 2013

भगवत्कृपा

(भगवान् कहते हैं-) कि जो मेरा भजन करता है,उसका मैं सर्वनाश कर देता हूँ,पर फिर भी वह मेरा भजन नहीं छोड़ता तो मैं उसका दासानुदास (दासका भी दास) हो जाता हूँ-
जे करे अमार आश,तार करि सर्वनाश|
तबू जे ना छाड़े आश,तारे करि दासानुदास||
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी 'अनन्तकी ओर'पुस्त्कसे