।।श्रीहरि।।
पाँच श्लोक पाठ और आवाज
(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)।
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज द्वारा शुरु करवाये हुए गीताजी(४/६-१०)के
पाँच श्लोकोंका उन्हीकी आवाजमें पाठ यहाँसे प्राप्त करें- https://db.tt/moa8XQh7
इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
।।श्रीहरि।।
पाँच श्लोक पाठ और आवाज
(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)।
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज द्वारा शुरु करवाये हुए गीताजी(४/६-१०)के
पाँच श्लोकोंका उन्हीकी आवाजमें पाठ यहाँसे प्राप्त करें- https://db.tt/moa8XQh7
।।श्रीहरि:।।
नया आविष्कार-
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजने
सरल,श्रेष्ठ और जल्दी सिध्द
होनेवाले साधनका आविष्कार किया है-
भगवानमें अपनापन।
इसलिये एक बार सरल हृदयसे दृढतापूर्वक यह स्वीकार करलें कि
(१)मैं केवल भगवानका ही हूँ
(२)और(दूसरे) किसीका नहीं
(३)केवल भगवान ही मेरे अपने हैं तथा
(४)और(दूसरा) मेरा कोई नहीं है।
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संगसे
------------------------------------------------------------------------------------------------
पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी रिकोर्डिंग वाणीसेे सत्संग करें और उनके गीता साधक-संजीवनी आदि ग्रंथ पढें-
https://db.tt/v4XtLpAr
यह ग्रंथ गीता-प्रेस गोरखपुरसे प्रकाशित हुआ है और इंटरनेट पर भी उपलब्ध है-
http://www.swamiramsukhdasji.org/
।।श्रीहरि:।।
विशेष-प्रवचन।
'श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'।
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके विशेष कैसेटोंके ७१ सत्संग-प्रवचन चुने गये हैं।इनके नाम (विषय) भी लिखे हुए हैं और आवाज भी साफ है।
वो ७१ प्रवचन यहाँ(इस पते)से) प्राप्त करें-
http://db.tt/FzrlgTKe
------------------------------------------------------------------------------------------------
पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
(भगवान् कहते हैं-) कि जो मेरा भजन करता है,उसका मैं सर्वनाश कर देता हूँ,पर फिर भी वह मेरा भजन नहीं छोड़ता तो मैं उसका दासानुदास (दासका भी दास) हो जाता हूँ-
जे करे अमार आश,तार करि सर्वनाश|
तबू जे ना छाड़े आश,तारे करि दासानुदास||
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी 'अनन्तकी ओर'पुस्त्कसे