शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

मुख्य-बातें (श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज की मुख्य बातें )।

                        ।।श्री हरि:।।      

       

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज

की मुख्य बातें -

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव ।।

ये कुछ पुस्तकोंमेंसे छाँटे हुए कुछ लेख है,प्रत्येक-पुस्तकके सब लेख नहीं है।

(लोगोंको थोड़े समयमें महाराजजीकी कई बातें मिल जाय,सत्संगमें सुनानेके    लिये, व्याख्यान देनेसे पहले, इस लेखको पढनेसे थोड़ी देरमें खास-खास बातें ध्यानमें आ जाय-इस उध्देश्यसे ये बातें एक जगह लिखि गई)।

'जीवनका कर्तव्य'
नामक पुस्तकमें-

1-'समयका मूल्य और सदुपयोग'

2-'सब नाम-रूपोंमें एक ही भगवान'

3-'बार-बार नहिं पाइये मनुष-जनमकी मौज'

'साधन-रहस्य' ('एकै साधै सब सधै')

नामक पुस्तकमें-

4-'सबका कल्याण कैसे हो? '

5-'अखण्ड साधन'

5-'दृढ भावसे लाभ'

6-'भगवत्प्राप्तिसे ही मानव- जीवनकी सार्थकता'

'जीवनोपयोगी कल्याण-मार्ग'
नामक पुस्तकमें-

7-'सभी कर्तव्य कर्मोंका नाम यज्ञ है'

8-'विषयासक्ति और भगवत्प्रीतिमें भेद'

9-'मनकी हलचलके नाशके सरल उपाय'

10-'दैवी सम्पदा एवं आसुरी सम्पदा'

11-'भगवत्प्राप्तिके लिये भविष्यकी अपेक्षा नहीं'

'सर्वोच्च पदकी प्राप्तिका साधन'
नामक पुस्तकसे-

11-'प्राप्त सामर्थ्यका सदुपयोग'

'कल्याणकारी प्रवचन' (भाग 1)
नामक पुस्तकमें-

12-'अपने अनुभवका आदर'

13-'संसारमें रहनेकी विद्या'

14-'स्वार्थरहित सेवाकी महत्ता'

15-'परमात्मा तत्काल कैसे मिलें ? '

16-'भगवत्प्राप्ति क्रियासाध्य नहीं'

17-'परमात्मप्राप्तिमें भोग और संग्रहकी इच्छा ही महान बाधक'

'तात्त्विक प्रवचन'
नामक पुस्तकमें-

18-'मुक्ति सहज है'

19-'जाग्रतमें सुषुप्ति'

20-'हमारा स्वरूप सच्चिदानन्द है'

21-'दृश्यमात्र अदृश्यमें जा रहा है'

22-'सत्य क्या है? '

23-'मैं शरीर नहीं हूँ'

24-'त्यागसे सुखकी प्राप्ति'

25-'तत्त्वप्राप्तिमें सभी योग्य हैं'

26-'सांसारिक सुख दु:खोंके कारण हैं'

27-'स्वभाव-सुधारकी आवश्यकता'

'भगवान् से अपनापन'
नामक पुस्तकमें-

28-'भगवानसे अपनान'

29-'नाम-जप और सेवासे  भगवत्प्राप्ति'

'भगवन्नाम'
नामक पुस्तकमें

30-'होहि रामको नाम जपु'

'सत्संगकी विलक्षणता'
नामक पुस्तकमें-

31-'सत्संगकी आवश्यकता'

('गीता-दर्पण'
नामक पुस्तकमें- )

32-(गीतामें) 'आहार-शुध्दि'

'कर्म-रहस्य'
नामक पुस्तकमें-

33-'अपने कर्मोंके द्वारा भगवान् का पूजन'

34-'जाति जन्मसे मानी जाय या कर्मसे ? '

'वास्तविक सुख'
नामक पुस्तकमें-

35-'मनुष्य-जीवनका उध्देश्य'

36-'पारमार्थिक उन्नति धनके आधीन नहीं'

37-'गोहत्या-एक अभिशाप'

'अच्छे बनो'
नामक पुस्तकमें-

38-'प्रतिकूल परिस्थितिसे लाभ'

'भगवत्प्राप्तिकी सुगमता'
नामक पुस्तकमें-

39-'अन्त:करणकी शुध्दिका उपाय'

40-'शरणागतिकी विलक्षणता'

41-'अपनी मनचाहीका त्याग'

42-'अपने साधनको सन्देहरहित बनायें'

'स्वाधीन कैसे बनें ? '
नामक पुस्तकमें-

43-'परमात्मप्राप्तिमें मुख्य बाधा-सुखासक्ति'

'गृहस्थमें कैसे रहें?
' नामक पुस्तकमें-

44-'महापापसे बचो'

'सत्संगका प्रसाद'
नामक पुस्तकमें-

45-'मन-बुध्दि अपने नहीं'

46-'कर्म किसके लिये ? '

'सच्चा गुरु कौन ?'
नामक पुस्तकमें-

47-'कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्'

'सहज साधना'
नामक पुस्तकमें-

48-'निर्दोषताका अनुभव'

49-'अहमका नाश तथा तत्त्वका अनुभव'

50-'करण-निरपेक्ष तत्त्व'

51-'चुप-साधन'

'नित्ययोगकी प्राप्ति'
नामक पुस्तकमें-

52-'करणनिरपेक्ष परमात्मतत्त्व'

53-'सत्-असतका विवेक'

54-'प्राप्त जानकारीके सदुपयोगसे कल्याण'

55-'जीवकृत सृष्टिसे बन्धन'

56-'दु:खका कारण-संकल्प'

57-'काम-क्रोधसे छूटनेका उपाय'

58-'राग-द्वेषसे रहित स्वरूप'

'वासुदेव:सर्वम्'
नामक पुस्तकमें-

59-'प्राप्त तत्त्वका अनुभव'

60-'उध्देश्यकी महत्ता'

61-'साधक कौन है ?'

'कल्याण-पथ'
नामक पुस्तकमें-

62-'कल्याणका सुगम साधन-कर्मयोग'

63-'गीताकी अलौकिक शिक्षा'

64-'योग:कर्मसु कौशलम्'

65-'भगवान और उनकी दिव्य शक्ति'

66-'संकीर्तनकी महिमा'

67-'गीतोक्त सदाचार'

'मातृशक्तिका घोर अपमान'
नामक पुस्तकमें-

68-'ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी'

'जिन खोजा तिन पाइया'
नामक पुस्तकमें

69-'परमात्मा सगुण हैं या निर्गुण ?'

'तत्त्वज्ञान कैसे हो ?'
नामक पुस्तकमें-

70-'मुक्तिमें सबका समान अधिकार'

'भगवान और उनकी भक्ति'
नामक पुस्तकमें-

71-'सर्वश्रेष्ठ साधन'

'जित देखूँ तित तू'
नामक पुस्तकमें-

72-'करणनिरपेक्ष साधन-शरणागति'

'सब जग ईश्वररूप है'
नामक पुस्तकमें-

73-'भगवान् का आलौकिक समग्ररूप'

74-'अलौकिक साधन-भक्ति'

'साधन-सुधा-सिन्धु'
नामक पुस्तकमें-

75-'प्रतिकूलतामें विशेष भगवत्कृपा'

'साधक-संजीवनी'
नामक पुस्तकमें

76-'साधनकी दो शैलियाँ'

ये कुछ पुस्तकोंमेंसे छाँटे हुए कुछ लेख है,प्रत्येक-पुस्तकके सब लेख नहीं है।

(लोगोंको थोड़े समयमें श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी कई बातें मिल जाय,सत्संगमें सुनानेके    लिये, व्याख्यान देनेसे पहले, इस लेखको पढनेसे थोड़ी देरमें खास-खास बातें ध्यानमें आ जाय-इस उध्देश्यसे ये बातें एक जगह लिखि गई)।
-डुँगरदास राम.

2 टिप्‍पणियां: