।।श्रीहरि।।
(दुखके समय क्या करें?)
-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज।
...
जब प्राणी कुछ गलती करता है,भगवद्भजनमें प्रमाद करता है,नींद आलस्य बढ जाता है,तो घबराहट होती है और मनमें समझता है (कि) अब क्या करूँ,कैसे करूँ,रस्ता सूझता नहीं।ठीक बात दीखती नहीं।
ऐसी अवस्थामें भी आप जबरदस्ती भजनमें लग जाओ।जल्दी उठकरके भजनमें लग जाओ।जल्दी ऊठकरके।याद रखो,जल्दी ऊठ ज्यावो और भजनमें लग जाओ और भगवानसे प्रार्थना करो।
"सच्चे हृदयसे प्रार्थना जो भक्त सच्चा गाय है। तो
भक्तवत्सल कानमें वह पहुँच झठ ही जाय है।।"
'सच्चे हृदयसे प्रार्थना जो भक्त सच्चा' , भक्त सच्चा हो और सच्चे हृदयसे करता है तो भगवानके यहाँ सुनाई जल्दी हो जाती है...।
श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके दिनांक 20000318_1530 (18-3-2000_1530 बजे) वाले प्रवचनका अंश (यथावत्)।
विस्तारसे जाननेके लिये कृपया यह प्रवचन सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
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