।।श्रीहरि।।
अनुभवका उपाय-व्याकुलता -परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग-प्रवचन(१९९५०५२९/८.३०बजे) से
अर्थात् दि.२९/५/१९९५;८.३०बजे के सत्संगसे।
अनुभव(कि मैं शरीर नहीं हूँ) न हो जाय, तब तक मैं दूसरा काम (खाना,पीना सोना आदि)नहीं करूंगा
(तो अनुभव चट हो जायेगा)|
खाना,पीना नींद छोड़नेसे कुछ नहीं होगा; आप समझे कि नहीं?
- परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके 29-5-1995.0830 बजेके सत्संग-प्रवचन(१९९५०५२९/८.३०बजे) से
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