शनिवार, 16 अप्रैल 2016

उध्देश्यकी दृढता

                       ।।श्रीहरि।।

उध्देश्यकी दृढता- 

निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु
लक्षमीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्|
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ||

(भर्तृहरिनीतिशतक)

'नीति-निपुण लोग निन्दा करें अथवा स्तुति(प्रशंसा),लक्षमी रहे अथवा जहाँ चाहे चली जाय और मृत्यु आज ही हो जाय अथवा युगान्तरमें,अपने उध्देश्यपर दृढ रहनेवाले धीर पुरुष न्यायपथसे एक पग भी पीछे नहीं हटते|'

-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग-प्रवचनसे

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