बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

गीता ! गीता !!' उच्चारण करनेमात्रसे कल्याण हो जायगा। (श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।

                ॥श्रीहरिः॥

'गीता ! गीता !!' उच्चारण करनेमात्रसे कल्याण हो जायगा।

(श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।

इस गीता- दर्पण के माध्यम से गीता का अध्ययन करनेपर साधक को गीताका मनन करनेकी, उसको समझनेकी एक नयी दिशा मिलेगी, नयी विधियाँ मिलेंगी, जिससे साधक स्वयं भी गीतापर स्वतन्त्रतरूपसे विचार कर सकेगा और नये-नये विलक्षण भाव प्राप्त कर सकेगा। उन भावों से उसकी गीता-वक्ता - (भगवान) के प्रति एक विशेष श्रद्धा जाग्रत् होगी कि इस छोटे-से ग्रंथ में भगवान ने कितने विलक्षण भाव भर दिये हैं। ऐसा श्रद्धा- भाव जाग्रत् होनेपर 'गीता! गीता!!' उच्चारण करनेमात्रसे उसका कल्याण हो जायेगा । 

"गीता- दर्पण" (लेखक- श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज) के प्राक्कथन से।

http://dungrdasram.blogspot.com
 

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