।।श्रीहरि।।
छःप्रकारके नौकर-
काम करनेवाले (नौकर अथवा सेवक) छः प्रकारके होते हैं -
पीर तीर चकरी पथर और फकीर अमीर |
जोय-जोय राखो पुरुष ये गुण देखि सरीर ||
१)पीर -इसे कोई काम कहें तो यह उस बातको काट देता है,
२)तीर -इसे कोई काम कहें तो तीरकी तरह भाग जाता है,फिर लौटकर नहीं आता,
३)चकरी-यहचक्रकी तरह चट काम करता है,फिर लौटकर आता है,फिर काम करता है|यह उत्तम नौकर होताहै,
४)पथर-यह पत्थरकी तरह पड़ा रहता है,कोई काम नहीं करता,
५)फकीर-यह मनमें आये तो काम करता है अथवा नहीं करता,
६)अमीर-इसे कोई काम कहें तो खुद न करके दूसरेको कह देता है|
(इसलिये मनुष्यको सेवकमें ये गुण देखकर रखना चाहिये)|
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी पुस्तक "अनन्तकी ओर"
(से इसका यह अर्थ लिखा गया).
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