।।श्री हरि:।।
एक निवेदन
सीताराम सीताराम
ज्ञानगोष्ठीके सज्जन सनेही सदस्योंको सादर रामजी राम राम महाराज।
आजकल कई लोगोंके अनचाहे पोस्टोंसे कई लोगोंको जो कष्ट हुआ है, उसके लिये उन सभी सज्जनोंसे मैं माफी माँगता हूँ।साथ ही मैं उन लोगोंसे प्रार्थना करता हूँ कि आइन्दा कोई ऐसी सामग्री न भेजें कि जिससे किसीको कोई तकलीफ हो।
इसके सिवा एक प्रार्थना सभीसे करता हूँ कि सामग्री वही भेजें जो आवश्यक हो और जिससे लोगोंको प्रसन्नता हो,ज्ञान हो।
जो सामग्री भेजी जा चूकी हो,कृपया उसे बार-बार न भेजें।
लोगोंके सो जानेपर भी कृपया कुछ न भेजें।
कोई भी सामग्री भेजनेमें सभी स्वतन्त्र है।
कोई सामग्री पसन्द न आये तो आपत्ति जतानेमें भी सभी स्वतन्त्र है,परन्तु कृपया इसका दुरुपयोग न करें।
आपत्ति जताने पर भी कोई अगर परवाह न करें तो मेरेसे कहें।कृपया सीधे उस सदस्यसे फोन करके विवाद न करें (जैसा कि आजकलमें हुआ है)।
कोई बात पसन्द न आये तो स्वयं समूह छौड़कर अलग हो जाना अच्छा है; परन्तु किसीको छौड़नेके लिये विवश करना अच्छा नहीं है।
इस ज्ञानगोष्ठीमें करीब पचास जने हैं।कृपया कुछभी भेजना हो तो सौच-समझकर ही भेजें।
इस समूहमें कई आदरणीय,पूज्य संत-महात्मा हैं।कई आदरणीय साधक,सत्संगी हैं।कई छौटे और कई बड़े भी हैं।कई शुरुआती और कई पुराने भी हैं।कई ऐसे हैं जिनको भगवत्सम्बनधी बातें ही अच्छी लगती है और कईयोंको इन बातोंके साथ-साथ सांसारिक-ज्ञानकी बातें भी अच्छी लगती है।
लोगोंकी रुचि अलग-अलग होती है।कोई अपनी रुचिकी सामग्री भेजें और वो हमारे पसन्द न आये तो कृपया उनका बुरा न मानें।सभ्यता-पूर्वक निवेदन करदें कि ऐसी सामग्री भेजना ठीक नहीं। जो सामग्री हमें पसन्द न आयी हो,वो दूसरे कईयोंको पसन्द आ जाया करती है,ऐसा देखनेमें आया है।
हमारा प्रयास तो यह रहना चाहिये कि अपनी समझमें अच्छीसे अच्छी सामग्री भेजें।
एक नम्बरकी सामग्री वही है,जो श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज और सेठजी श्री जयदयालजी गोयनदकाके सत्संगकी हो या उससे सम्बन्धित हो।
सीताराम सीताराम
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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
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