रविवार, 1 फ़रवरी 2015

सूक्तियाँ-(७-८)श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई सूक्तियाँ।

                     ।।श्रीहरि:।।

सूक्तियाँ-(७-८)

श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई सूक्तियाँ।

सूक्ति-७.

गारबदेसर गाँवमें सब बाताँरो सुख |
ऊठ सँवारे देखियै मुरलीधरको मुख||

शब्दार्थ-

मुरलीधर(भगवान).

सूक्ति-८.

आयो दरशण आपरै परा उतारण पाप |
लारे लिगतर लै गयो मुरलीधर माँ बाप ! ||

शब्दार्थ-

लिगतर(जूते).

कथा-

एक चारण भाई इस मन्दिरमें दर्शनके लिये भीतर गये,पीछेसे कोई उनके पुराने जूते(लिगतर) लै गया.तब उन्होने मुरलीधर(सबके माता पिता) भगवानसे यह बात कहीं;इतनेमें किसीने नये जूते देते हुए कहा कि बारहठजी ! ये जूते पहनलो ; मानो भगवानने दुखी बालककी फरियाद सुनली |

------------------------------------------------------------------------------------------------

पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें