।।श्रीहरि:।।
सूक्तियाँ-(७-८)
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई सूक्तियाँ।
सूक्ति-७.
गारबदेसर गाँवमें सब बाताँरो सुख |
ऊठ सँवारे देखियै मुरलीधरको मुख||
शब्दार्थ-
मुरलीधर(भगवान).
सूक्ति-८.
आयो दरशण आपरै परा उतारण पाप |
लारे लिगतर लै गयो मुरलीधर माँ बाप ! ||
शब्दार्थ-
लिगतर(जूते).
कथा-
एक चारण भाई इस मन्दिरमें दर्शनके लिये भीतर गये,पीछेसे कोई उनके पुराने जूते(लिगतर) लै गया.तब उन्होने मुरलीधर(सबके माता पिता) भगवानसे यह बात कहीं;इतनेमें किसीने नये जूते देते हुए कहा कि बारहठजी ! ये जूते पहनलो ; मानो भगवानने दुखी बालककी फरियाद सुनली |
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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
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