।।श्रीहरि:।।
सूक्तियाँ-(-९)
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई सूक्तियाँ।
सूक्ति-९.
कुबुध्द आई तब कूदिया दीजै किणनें दोष |
आयर देख्यो ओसियाँ साठिको सौ कोस ||
कथा-
साठिका गाँवके एक जने(शायद माताजीके भक्त,एक चारण भाई)ने सोचा कि इस गाँवको छोड़कर ओसियाँ गाँवमें चले जायँ (जो सौ कोसकी तरह दूर था)तो ज्यादा लाभ हो जायेगा;परन्तु वहाँ जाने पर पहलेसे भी ज्यादा घाटा दीखा; तब अपनी कुमतिके कारण पछताते हुए यह बात कहीं .
(हमारेमें जब दुर्बुध्दि आयी,तब यहाँसे कूदे,इस 'साठिका' गाँवको छौड़कर 'औसियाँ' गाँव जानेका निश्चय किया।जब यहाँ आकर देखा तो ऐसा लगा कि वहाँ ही(साठिकामें ही) रहते तो ठीक था; परन्तु अब क्या हो,साठिका तो वहाँ,इतनी दूर-सौ कोस रह गया।अब किसको दोष दें! यह कर्म(प्रारब्ध) तो खुदनें ही बनाया था)।
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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
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