- कल्याण के तीन सुगम मार्ग(पुस्तक व्याख्या)- परम श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज द्वारा (बीकानेर २००१-2001)
- SEP.1993 -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ (कुछ छूटे हुए और विषय-सूची सहित)
- OCT.1993 -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ (कुछ छूटे हुए और विषय-सूची सहित)
- पुराने प्रवचन (01) - (100-N.1) - S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ
- पुराने प्रवचन (02) - (100-N.2) - S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ
- पुराने प्रवचन (03) - (100-N.3) - S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ
इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
गुरुवार, 12 सितंबर 2013
पुराने-प्रवचन-परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज के दुर्लभ (छूटे हुए) प्रवचन
सोमवार, 2 सितंबर 2013
भगवत्कृपा
(भगवान् कहते हैं-) कि जो मेरा भजन करता है,उसका मैं सर्वनाश कर देता हूँ,पर फिर भी वह मेरा भजन नहीं छोड़ता तो मैं उसका दासानुदास (दासका भी दास) हो जाता हूँ-
जे करे अमार आश,तार करि सर्वनाश|
तबू जे ना छाड़े आश,तारे करि दासानुदास||
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी 'अनन्तकी ओर'पुस्त्कसे
शनिवार, 31 अगस्त 2013
पता-(सत्संग,गीता आदिका)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग,गीता आदिका पता
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका सत्संग ( SATSANG GITA AADI -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAHARAJ )और गीता-पाठ,गीता-गान(सामूहिक आवृत्ति),गीता-माधुर्य(उन्हीकी आवाजमें),गीता-व्याख्या(करीब पैंतीस दिनोंका सेट),कल्याणके तीन सुगम मार्ग[नामक पुस्तककी उन्हीके द्वारा व्याख्या],नानीबाईका माहेरा,भजन,कीर्तन,पाँच श्लोक(गीता ४/६-१०),गीता 'साधक-संजीवनी' तथा नित्य-स्तुति,गीता,सत्संग(-श्रध्देय
स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजके
71दिनोंका सत्संग-प्रवचन सेट),मानसमें नाम-वन्दना आदि आप यहाँके इस पतेसे प्राप्त करें- http://db.tt/v4XtLpAr
शुक्रवार, 30 अगस्त 2013
तीन प्रकारके मनुष्य
प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः
प्रारभ्य विघ्नविहिता विरमन्ति मध्याः|
विघ्नैःपुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः
प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति||
(मुद्राराक्षस २/१७)
'नीच मनुष्य विघ्नोंके डरसे कार्यका आरम्भ ही नहीं करते हैं|मध्यम श्रेणीके मनुष्य कार्यका आरम्भ तो कर देते हैं,पर विघ्न आनेपर उसे छोड़ देते हैं|परन्तु उत्तम गुणोंवाले मनुष्य बार-बार विघ्न आनेपर भी अपना (प्ररम्भ किया हुआ) कार्य छोड़ते नहीं|'
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग-प्रवचनसे
दृढता
निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु
लक्षमीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम् |
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ||
(भर्तृहरिनीतिशतक)
'नीति-निपुण लोग निन्दा करें अथवा स्तुति(प्रशंसा),लक्षमी रहे अथवा जहाँ चाहे चली जाय और मृत्यु आज ही हो जाय अथवा युगान्तरमें,अपने उध्देश्यपर दृढ रहनेवाले धीर पुरुष न्यायपथसे एक पग भी पीछे नहीं हटते|'
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके सत्संग-प्रवचनसे
बुधवार, 28 अगस्त 2013
पता-नानीबाईका माहेरा (गायक- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज)|
।।श्रीहरि:।।
नानीबाईका माहेरा।
गायक-
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज।
कभी-कभी श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज भक्त नरसिंह(नरसीजी) मेहताका माहेरा सुनाते थे,जिसको लोग बड़े राजी होकर सुनते थे।
वो बड़ा रोचक,हास्यप्रद तथा भक्तिमय होता था।
यह काव्य मारवाड़ी भाषामें होते हुए भी अन्य भाषावालोंको भी बड़ा प्रिय है।
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज इसको गाकर सुनाते और फिर हिन्दीभाषामें अर्थ भी बताते थे तथा साथ-साथ सत्संग भी कराते थे।
इस प्रकार वो बड़ा कीमती,रहस्यमय,आनन्ददायक,प्रेरणाप्रद और समझनेमें बड़ा सुगम था।
वो प्रोग्राम चार,पाँच या छः दिन तक चलता था।
यह रिकोर्डिंग छः दिनोंवाली है(जो कोलकातामें हुई थी)।
सुगमताके लिये इसकी अड़ताळीस फाइलें बनाई है और उनके नाम भी हिन्दीमें लिख दिये गये हैं।
इसमें साफ आवाजवाली सामग्रीका उपयोग किया गया है।
इसका नाम रखा है -'
"1@NANIBAIKA MAHERA -S.S.S.RAMSUKHDASJI MAAHARAJ@"
इसको यहाँ(इस पते)से प्राप्त करें- http://db.tt/mgMy966T
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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
बुधवार, 14 अगस्त 2013
गीता-माधुर्य(की रिकोर्डिंगका पता-)[लेखक और स्वर (बोलनेवाले)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज]।
इसका नाम है-'गीता-माधुर्य।
गीता-माधुर्य (की रिकोर्डिंग) यहाँ(इस पते)से प्राप्त करें- http://db.tt/ylSe6rQi
http://www.swamiramsukhdasji.org/