मंगलवार, 23 अगस्त 2016

पारमार्थिक लाभ और हानि की क्या परीक्षा है? (-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।

                           ॥श्रीहरिः॥

पारमार्थिक लाभ और हानि की क्या परीक्षा है?

(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।

पारमार्थिक लाभ और हानि की क्या परीक्षा है? 

कह,
हमारा क्रोध कम हुआक (हुआ क्या) , काम कम हुआक,लोभ कम हुआक,  अशान्ति कम हुईक, शान्ति ज्यादा रहीक, प्रसन्नता ज्यादा रहीक, भगवानकी स्मृति ज्यादा आईक, भगवानके नाम का जप ज्यादे (ज्यादा) हुआक और भगवान में मन ज्यादे लगा, (तो) लाभ हुआ और

झूठ, कपट, बेईमानी आदिक - ये आये (तो) हानि हुई। पारमार्थिक हानि हुई, व्यवहार की भी हानि हुई ...

(आप सच्चे हृदय से भगवान में लगो।रस्ता जरूर मिलेगा। अपनी भूलों का ज्ञान होगा-)
...
मैंने पुस्तक में पढ़ा है- ये श्रवण किया, मनन किया, निदिध्यासन किया, ध्यान किया, समाधि लगाई।

वे संत कहते हैं कि अरेऽ ये सब(श्रवण मनन निदिध्यान आदि) फालतू है बिचारे । - अरेऽ इसमें फँस गये हम तो ।

वे लिखते हैं खुद अपना अनुभव । मैंने पढ़ा (पढ़ी)  है पुस्तक । (वो लिखते हैं- ) यह तो बहुत मामूली बात थी हम समझे ही नहीं ।

अब अकल में आता हैऽऽरे! इतना समय बर्बाद किया है हमने तो । बहुत समय बर्बाद कर दिया। ...

श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के
19930730_0800_Laabh Kisme Hai Dhan Sangrah Se Haani... नामक प्रवचन के अंश।

(इसमें और भी कई उपयोगी बातें बताई गई है। कृपया पूरा प्रवचन सुनें)।

http://dungrdasram.blogspot.com

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