मंगलवार, 9 अगस्त 2016

वास्तव में जड़ और चेतन क्या है?(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।

                           ॥श्रीहरिः॥

वास्तव में जड़ और चेतन क्या है?

(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज)।  

श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज ने
"19930718_0800_Uddeshya Chetan Ka Ho" नाम वाले प्रवचन में बताया कि

(दुनियाँ में  साधारण लोग) जानते हैं- (कि) चेतन किसका नाम है ? 

कह, जिसमें क्रिया होती है वो चेतन और क्रिया नहीं होती है वो जड़।

यह बहुत स्थूल बुद्धि है।
- हम बोलते हैं, चलते हैं, ऐसा करते हैं (- ये) चेतन हैं और पत्थर है क,ये लकड़ी है - ये जड़ है।

तो येह जड़ चेतन की परिभाषा नहीं है।

जड़ नाम उसका है (जो) ना अपने को जानता है (और) ना दूजे को(दूसरेको) जानता है, जानना है ही नहीं उसमें; जाननापन नहीं है - वो जड़ होता है। जिसमें जाननापन होता है - वो चेतन होता है।

अगर क्रिया को चेतन माना जाय! तो इंजन है,मोटर है, साइकिल है- ये भी चेतन है फिर।

इंजन चलता है,बोलता भी-सीटी देता है और बोलता भी है और (उसमें)  धीमे और तेजी की क्रिया भी होती है।

तो फिर ये भी चेतन होना (होने) चाहिये। पर ये चेतन नहीं है। इसका ड्राइवर चेतन है। उस चेतन के संचालन से इंजन चलता है।...

(-श्रध्देय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज के
"19930718_0800_Uddeshya Chetan Ka Ho" नाम वाले प्रवचन का अंश)।

{ चेतन - परमात्मा की प्राप्ति के लिये जड़ से विमुख होना होगा।

लक्ष्य (ध्येय) अगर  परमात्मप्राप्ति का होगा तो जड़ भी परमात्मा की प्राप्ति करा देगा। गीता ने ऐसी विलक्षण बात कही है (8/7;2/38;)।

अगर लक्ष्य  परमात्मप्राप्ति का होगा तो युद्ध जैसी नीची क्रिया  से  भी परमात्मा की प्राप्ति हो जायेगी और लक्ष्य अगर परमात्मप्राप्ति का नहीं है (भोग और संग्रह का है) तो ऊँची से ऊँची क्रिया - गीताजी की कथा कहने से भी कल्याण नहीं होगा।

इस प्रवचन में ध्येय को भी उदाहरण देकर समझाया गया है}।

इस प्रकार इस प्रवचन में और भी कई विलक्षण बातें बतायीं गयी है। अधिक जानने के लिये कृपया यह पूरा प्रवचन सुनें। 

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