शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

(१३)- 'सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका'द्वारा "कल्याण"(-पत्र) शुरु

                         ।।श्रीहरिः। ।

(१३)- 'सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका'द्वारा "कल्याण"(-पत्र) शुरु -

फिर वो चूरूसे जा रहे थे कलकत्ताकी तरफ; तो बीचमें बातें हुई। तो घनश्यामदासजी बिड़लाने इनको सूझ दी कि तुम सत्संग करते हो, (उन बातोंका) पत्र निकालो, तो कईयोंको लाभ हो जाय। तो जयदयालजीने कहा कि पत्र निकालना, करना आता नहीं। तो हनुमान प्रसादजी पोद्दारने कहा कि सम्पादन तो मैं कर दूँगा। तो श्री सेठजीने कहा कि लेख मैं लिखा दूँगा। तो ठीक है। कल्याण शुरु हुआ। तो कल्याण खूब चला और लोगोंने बहुत अपनाया और बहुत लाभ हुआ। वो कल्याण चलता आ रहा है आज तक। पहले बम्बईसे शुरु हुआ और फिर गीताप्रेसमें आ गया।

http://dungrdasram.blogspot.com/2014/11/blog-post_42.html

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