शनिवार, 20 सितंबर 2014

बूढोंका बुध्दि और आवश्यकता तथा महत्त्व।


सूक्ति-
२२७-

टाबरिया घर बसावै ,
तो बाबो बूढी क्यूँ लावै |

सूक्ति-
२२८-

बूढा भाथड़ै घालीजै |

शब्दार्थ-
भाथड़ै (भाथड़ा , चमड़ेका बना हुआ एक बड़ा थैला)

कथा-

एक बारात जानेवाली थी , उसमें सब युवा लोग थे | उनका विचार था कि सब जनान-जवान ही जायेंगे , बूढोंको नहीं लै जायेंगे  , (बूढे तो बेकार होते हैं , बूढे काम नहीं सकते, काम तो जवान लोग ही कर सकते हैं , बूढोंकी क्या जरूरत है, ये तो व्यर्थमें जगह रोकते हैं | कोई काम करना होता है तो उलटे उसमें ये टाँग अड़ाते हैं , काम सफल होने नहीं देते , हुक्म चलाते हैं , काम तो होता नहीं इनसे आदि आदि) |

एक समझदार वृध्दने सोचा कि बारातमें कोई वृध्द आदमी नहीं है ,कोई जरूरी काम पड़ गया तो कैसे होगा  ये सब जवान हैं ,इनमें उत्साह और ताकत तो है ,परन्तु अनुभव नहीं है ,  समझ नहीं है | इसलिये एक वृध्द को साथमें जाना चाहिये | उसने एक युवाको पटाया और सामानकी तरह थैलेमें डालकर उस वृध्दको साथमें रख लिया गया |

बारात जब ससुराल पहुँची तो देखा गया कि सब जवान ही जवान हैं ,साथमें किसी वृध्दको नहीं लाये हैं , वृध्दोंकी आवश्यकता नहीं समझी गयी है , ये अपनेको बलवान और बुध्दिमान समझते हैं कि कोई भी काम होगा तो हम कर लेंगे , बूढोंकी क्या जरूरत है ? आदि आदि |
इन 'जवान लोगोंमें समझ कितनीक है ' यह सामने लानेके लिये ससुरालवालोंने एक युक्ति रची | वो बोले - आप किसी बूढे-बड़ैरेको नहीं लाये ? जवाब मिला-   बूढोंकी क्या जरूरत है , कोई काम हो तो हमको बताओना ! हम करेंगे | तब एक तलाई दिखाकर वो बोले कि इस तलाईको दूधसे भरना है | विवाह बादमें करेंगे , पहले हमारी यह मांग पूरी करो | यह सुनकर सब जवान असमञ्जसमें पड़ गये कि अब क्या करें ? तलाईको दूधसे भरना सम्भव है नहीं और बिना भरे विवाहकी बारी ही नहीं आयेगी और अगर विवाह नहीं हुआ तो वापस कौनसा मुँह लेकर जायेंगे | अगर बूढे लोगोंने पूछ लिया कि आप जवान लोग तो सब काम कर सकते हो , फिर विवाह क्यों नहीं करा सके ? तो उनको क्या उत्तर दैंगे ? आदि आदि | किसी भी जवानको समझमें नहीं आ रहा था कि अब क्या करना चाहिये |
अभी तक किसीको पता नहीं था कि हमारे साथ एक वृध्द हैं | इस बातको एक जवान ही जानता था | अब उस जवानके मनमें आया कि क्यों नहीं उस बूढेसे ही पूछलें कि अब क्या करें ? उसने जाकर परिस्थिति जनायी और पूछा कि अब क्या करें , बड़ी समस्या आ गई है | तब उस वृध्दने युक्ति बतायी कि इन लोगोंसे कहो कि आपकी माँग हमें मंजूर है , हम तलाईको दूधसे भर रहे हैं ; पहले आप इसको जल्दी ही खाली करो | यह सुनकर वो समझ गये कि इनके साथमें कोई वृध्द हैं |
रहस्य खुलने पर सबको यह समझमें आया कि वृध्दोंकी कितनी आवश्यकता होती है | बारातके सारे के सारे जवान जिस कामको नहीं कर पाये थे , उस कामको एक बूढेने कर दिया |  बूढेकी तरकीबसे उनको न तो दूधसे तलाई भरनी पड़ी और न इज्जत गँवानी पड़ी | तभी तो कहा जाता है कि बूढे भाथड़ै घाले जाते हैं |

७५१ सूक्तियोंका पता-
------------------------------------------------------------------------------------------------

सूक्ति-प्रकाश.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजके
श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि
(सूक्ति सं.१ से ७५१ तक)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/09/1-751_33.html

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें