सूक्ति-
४६१-
प्रभातै गहडम्बराँ सांझाँ सीळा वाय |
डंक कहै सुण भडळी ये काळाँरा सुभाव ||
सहायता-
ज्योतिष विद्याके महान जानकार कवि डंक अपनी पत्नि भडळीसे कहते हैं कि अगर सबेरे खूब बादल छाये हुए हों और शामको ठणडी हवा चलती हो तो(समझना चाहिये कि अकाल पड़ेगा) ये अकालोंके स्वभाव हैं अर्थात् जब दुष्काल पड़ने वाला होता है तो पहले ऐसे लक्षण घटते हैं।इसलिये अबकी बार काल (दुष्काल,दुर्भिक्ष) पड़ेगा।
७५१ सूक्तियोंका पता-
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सूक्ति-प्रकाश.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजके
श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि
(सूक्ति सं.१ से ७५१ तक)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/09/1-751_33.html
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