सूक्ति-१०.
आप कमाया कामड़ा दीजै किणने दोष |
खोजेजीरी पालड़ी काँदे लीन्ही खोस ||
कथा-
पालड़ी गाँववाले ठाकुर साहबके यहाँ एक काँदा(प्याज) इतना बड़ा हुआ कि उन्होने उस काँदेको ले जाकर लोगोंके सामने ही दरबारके भेंट चढाया;सबको आश्चर्य आया कि पालड़ीमें इतना बड़ा काँदा पैदा हुआ है,लोग उस गाँवको 'काँदेवाली पालड़ी' कहने लग गये; इससे पहले उसका नाम था 'खोजेजीरी पालड़ी'| अगर खोजोजी ऐसा नहीं करते तो उनका यही अपना नाम रहता;परन्तु अब किसको दोष दें |
सूक्ति-११.
बोरड़ीरे चौर बँधियो देखि पिणियारी रोई |
थारे सगो लागे सोई?
म्हारे सगो लागे नीं सोई |
इणरे बापरो बहनोई म्हारे लागतो नणदोई.
(यह चौर उसका बेटा था ).
सूक्ति-१२.
रामजी घणदेवाळ है .
शब्दार्थ-
घणदेवाळ(ज्यादा देनेवाले,सुख देते हैं तो एक साथ ही खूब दे देते हैं और दुख देते हैं तो भी एक साथ ज्यादा दे देते हैं.).
७५१ सूक्तियोंका पता-
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सूक्ति-प्रकाश.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजके
श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि
(सूक्ति सं.१ से ७५१ तक)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/09/1-751_33.html
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