एक सज्जनने पूछा है कि हम गीताजी कण्ठस्थ करना चाहते हैं,गीताजी कण्ठस्थ होनेका उपाय बतायें।
उत्तरमें निवेदन है कि
गीताजी कण्ठस्थ करना हो तो पहले गीता साधक-संजीवनी,गीता तत्त्वविवेचनी,[गीता पदच्छेद अन्वय सहित] आदिसे गीताजीके श्लोकोंका अर्थ समझलें और फिर रटकर कण्ठस्थ करलें।छौटी अवस्थामें तो पहले श्लोक रटा जाता है और पीछे उसका अर्थ समझा जाता है तथा बड़ी अवस्थामें पहले अर्थ समझा जाता है और पीछे श्लोक रटा जाता है।(जो श्लोक कण्ठस्थ हो चूके हों, उनकी आवृत्ति रोजाना बिना देखे करते रहें)।जो श्लोक दिनमें कण्ठस्थ किये गये हैं,रात्रिमें सोनेसे पहले कठिनता-पूर्वक बिना देखे उनकी आवृत्ति करलें,इससे सुबह उठते ही (वापस बिना देखे आवृत्ति करोगे तो) धड़ा-धड़ आ जायेंगे।
अगर कोई यह पूछे कि हम गीताजीका कण्ठस्थ पाठ भूलना चाहते हैं,कोई उपाय बताओ।तो भूलनेका उपाय यह है कि गीताजीका कण्ठस्थ पाठ गीताजीको देखकर करते रहो,भूल जाओगे अर्थात् कण्ठस्थ पाठ गीताजीको देख-देखकर न करें।कण्ठस्थ पाठ बिना देखे करें।यह उपाय श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजका बताया हुआ है।
विशेष-
जो सज्जन गीताजीको याद करना चाहते हैं,उनके लिये 'गीता-ज्ञान-प्रवेशिका' (लेखक- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज) नामक पुस्तक बड़ी सहायक होगी।इसमें गीता-अध्ययन सम्बन्धी और भी अनेक बातें बताई गई है।
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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
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