सूक्ति-७.
गारबदेसर गाँवमें सब बाताँरो सुख |
ऊठ सँवारे देखिये मुरलीधरको मुख||
शब्दार्थ-
मुरलीधर(भगवान).
सूक्ति-८.
आयो दरशण आपरै परा उतारण पाप |
लारे लिगतर लै गयो मुरलीधर माँ बाप ! ||
शब्दार्थ-
लिगतर(जूते).
कथा-
एक चारण भाई इस मन्दिरमें दर्शनके लिये भीतर गये,पीछेसे कोई उनके पुराने जूते(लिगतर) लै गया.तब उन्होने मुरलीधर(सबके माता पिता) भगवानसे यह बात कहीं;इतनेमें किसीने नये जूते देते हुए कहा कि बारहठजी ! ये जूते पहनलो ; मानो भगवानने दुखी बालककी फरियाद सुनली |
सूक्ति-९.
कुबुध्द आई तब कूदिया दीजै किणने दोष |
आयर देख्यो ओसियाँ साठिको सौ कोस ||
कथा-
साठिका गाँवके एक जने(शायद माताजीके भक्त,एक चारण भाई)ने सोचा कि इस गाँवको छोड़कर ओसियाँ गाँवमें चले जायँ (जो सौ कोसकी तरह दूर था)तो ज्यादा लाभ हो जायेगा,परन्तु वहाँ जाने पर पहलेसे भी ज्यादा घाटा दीखा; तब अपनी कुमतिके कारण पछताते हुए यह बात कहीं .
७५१ सूक्तियोंका पता-
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सूक्ति-प्रकाश.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजके
श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि
(सूक्ति सं.१ से ७५१ तक)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/09/1-751_33.html
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