सूक्ति-
१७३-
रब्बदा कि पाणाँ ?
इतै पट्टणा, अर इतै लाणाँ |
शब्दार्थ-
रब्ब (ईश्वर) ।
घटना-
एक पंजाबी संत (बुल्लेशाह) खेतमें क्यारीका काम कर रहे थे ,पहली क्यारीको रोककर दूसरी क्यारीमें जल ला रहे थे।
उस समय किसीने पूछा कि परमात्माकी प्राप्तिके लिये कौनसा उपाय करना चाहिये?
तब वो संत क्यारी और जलका ही उदाहरण देते हुए बोले कि परमात्माकी प्राप्तिके लिये कौनसी कठिनता है ! उनकी प्राप्तिके लिये अपनेको इधर(संसार) से तो रोकना है और इधर(परमात्माकी तरफ) लगाना है।
७५१ सूक्तियोंका पता-
------------------------------------------------------------------------------------------------
सूक्ति-प्रकाश.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजके
श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि
(सूक्ति सं.१ से ७५१ तक)। http://dungrdasram.blogspot.com/2014/09/1-751_33.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें