बुधवार, 10 दिसंबर 2014

१.गीताजी कण्ठस्थ (याद) करनेका उपाय।

                          ||श्रीहरि:||


गीताजी कण्ठस्थ (याद) करनेका उपाय-  
 
 एक बार श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज से एक हैड मास्टर ने पूछा कि मनुष्य को कम- से कम क्या कर लेना चाहिये?  

इसके उत्तर में श्री स्वामी जी महाराज ने बताया कि मनुष्य को कर तो लेना चाहिये अपना कल्याण। तत्त्वज्ञान। भगवान् का परम प्रेम प्राप्त कर लेना चाहिये। परन्तु इतना न हो सके तो कम- से कम इतना तो कर ही लेना चाहिये कि मनुष्य जन्म से नीचा न चला जाय (मनुष्य जन्म से नीचे न गिर जाय)।

अर्थात् इसी जन्म में भगवत्प्राप्ति न कर सके तो मरने के बाद वापस मनुष्य जन्म मिल जाय। पशु-पक्षी,कीट-पतंग आदि नीच योनियों में न जाना पङे। इतना तो कर ही लेना चाहिये। 

(तब उन्होंने पूछा कि)  इसका क्या उपाय है (कि वापस मनुष्य जन्म ही मिल जाय)?

इसके उत्तर में श्री स्वामी जी महाराज बोले कि गीता याद (कण्ठस्थ) करलें। क्योंकि-

गीता पाठ समायुक्तो मृतो मानुषतां व्रजेत् ।।१६।।
गीताभ्यासं पुनः कृत्वा लभते मुक्तिमुत्तमाम् ।। 
(गीता माहात्म्य,वराह पुराण)

अर्थात् , गीता-पाठ करनेवाला [अगर मुक्ति होनेसे पहले ही मर जाता है, तो] मरनेपर फिर मनुष्य ही बनता है और फिर गीता अभ्यास करता हुआ उत्तम मुक्तिको प्राप्त कर लेता है)। अस्तु।  

(इसलिये हमलोगों को चाहिये कि गीताजी याद करलें  और गीताजी का पाठ करें )।   


एक सज्जनने पूछा है कि हम गीताजी कण्ठस्थ करना चाहते हैं,गीताजी कण्ठस्थ होनेका उपाय बतायें।

उत्तरमें निवेदन है कि
गीताजी कण्ठस्थ करना हो तो पहले गीता साधक-संजीवनी,गीता तत्त्वविवेचनी,[गीता पदच्छेद अन्वय सहित] आदिसे गीताजीके श्लोकोंका अर्थ समझलें और फिर रटकर कण्ठस्थ करलें।

श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज बताते हैं कि छोटी अवस्थामें तो पहले श्लोक रटा जाता है और पीछे उसका अर्थ समझा जाता है तथा बड़ी अवस्थामें पहले अर्थ समझा जाता है और पीछे श्लोक रटा जाता है।

(जो श्लोक कण्ठस्थ हो चूके हों, उनकी आवृत्ति रोजाना बिना देखे करते रहें)।

जो श्लोक दिनमें कण्ठस्थ किये गये हैं,रात्रिमें सोनेसे पहले कठिनता-पूर्वक, बिना देखे उनकी आवृत्ति करलें,इससे सुबह उठते ही (वापस बिना देखे आवृत्ति करोगे तो) धड़ा-धड़ आ जायेंगे।

(बिना देखे गीता पाठ न करने से हानि बताते हुए कभी-कभी तर्क सहित और हँसते हुए- से   श्रीमहाराजजी बोलते थे कि) 

अगर कोई यह पूछे कि हम गीताजीका कण्ठस्थ पाठ भूलना चाहते हैं,कोई उपाय बताओ।तो भूलनेका उपाय यह है कि गीताजीका कण्ठस्थ पाठ गीताजीको देखकर करते रहो,भूल जाओगे अर्थात् कण्ठस्थ-पाठ भी गीताजीको देख-देखकर करोगे तो भूल जाओगे| 

इसलिये जिनको पूरी गीताजी याद (कण्ठस्थ) हो अथवा दो-चार अध्याय ही याद हो, उनको चहिये कि कण्ठस्थ-पाठ गीताजी देख-देखकर न करें।कण्ठस्थ-पाठ बिना देखे करें।

जो सज्जन गीताजीको याद करना चाहते हैं,उनके लिये 'गीता-ज्ञान-प्रवेशिका' (लेखक- श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज) नामक पुस्तक बड़ी सहायक होगी। इसमें गीता-अध्ययन सम्बन्धी और भी अनेक बातें बताई गई है।

श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें रिकोर्ड किये हुए दो प्रकारके गीता-पाठ उपलब्ध है। उनके साथ-साथ पाठ करनेसे गीताजी कण्ठस्थ हो जाती है।

अगर कोई गीताजी सीखना चाहें,तो इस पाठके साथ-साथ पढकर आसानीसे सीख सकते हैं।

गीताजीका शुद्ध उच्चारण कोई सीखना चाहें तो वो भी साथ-साथ पाठ करके सीख सकते हैं।

कोई गीताजी पढनेकी लय सीखना चाहें,कोई गीताजीकी राग सीखना चाहें,तो वो भी श्री महाराजजीकी वाणीके साथ-साथ पाठ करके सीख सकते हैं।

कोई गीताजी पढते समय उच्चारणमें होनेवाली अपनी भूलें सुधारना चाहें,गलतियाँ सुधारना चाहें,तो वो साथ-साथ पाठ करके सुधार सकते हैं।

कई लोग 'श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज' से पूछते थे कि हम गीता पढना चाहते हैं,हमको शुद्ध गीताजी पढना नहीं आता,क्या करें?

तब श्री महाराजजी उनसे कहते थे कि सुबह चार बजे यहाँ गीताजीके पाठकी कैसेट लगती है,उसके साथ-साथ गीताजी पढो।(गीताजी शुद्ध पढना आ जायेगा,सही पढना सीख जाओगे)।

उन दिनों प्रात:चार बजेसे श्री महाराजजीकी आवाजवाले पाठकी ये(नीचे बतायी गयी) कैसेटें ही लगती थीं। 
(आज भी हम वैसा कर सकते हैं)।

गीता-पाठ यहाँसे प्राप्त करें-

पहले प्रकार के गीता-पाठका पता- 
स्वर(-आवाज) -श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज | http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_15.html


दूसरी प्रकारके गीता-पाठका पता- 
स्वर(-आवाज)-श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज | http://dungrdasram.blogspot.com/2014/12/blog-post_17.html

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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रद्धेय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/

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