सोमवार, 8 दिसंबर 2014

दूसरी प्रकारके गीता-पाठका पता-स्वर(-आवाज)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज |

                       ||श्रीहरि:||
दूसरी प्रकारके गीता-पाठका पता-
स्वर(-आवाज)-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज ।
                        
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें दो प्रकारके
रिकोर्ड किये हुए गीता-पाठ उपलब्ध है।
पहले गीता-पाठमें आगे श्री स्वामीजी
महाराज बोलते हैं और पीछे दूसरे लोग दोहराते हैं।
दूसरे प्रकारके गीता-पाठमें सिर्फ श्री स्वामीजी महाराज बोलते(पाठ करते) हैं।
इसी प्रकार श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी आवाजमें श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् भी उपलब्ध है |
महापुरुषोंकी वाणीके साथ-साथ पाठ करनेवालेको अचिन्त्य-लाभ होता है।
श्री स्वामीजी महाराजकी आवाज(वाणी)के साथ-साथ पाठ करके हम उनके
संगी(सत्संगी) बन जाते हैं।
गीता-प्रचारका काम करनेवाला भगवानको अत्यन्त प्यारा लगता है| भगवान कहते हैं कि उसके समान मेरा प्रिय कार्य करनेवाला दूसरा कोई भी नहीं होगा (गीता १८/६८,६९)।
इस प्रकार हम गीता-प्रचारमें सम्मिलित होकर भगवानके अत्यन्त प्यारे बन जाते हैं।
श्री स्वामीजी महाराजका कहना है कि जितने लोग एक साथ पाठ करते हैं,उतना
ही गुना अधिक लाभ होता है।
जैसे,सौ लोग एक साथ बैठकर पाठ करते हैं तो
एक-एकको सौ-सौ गुना अधिक लाभ होगा अर्थात् एक जनेको सौ पाठ करनेका लाभ
होगा,दूसरे आदमीको भी सौ पाठ करनेका लाभ होगा और तीसरे आदमीको भी सौ पाठ
करनेका लाभ होगा।
इस प्रकार हम महापुरुषोंके साथ एक पाठ करके (महापुरुषोंके साथ किये गये) सौ पाठोंका लाभ एक बारमें ही ले लेते हैं।
इसके सिवा और भी अनेक लाभ है।
अगर कोई गीताजी सीखना चाहें,तो इस पाठके साथ-साथ पढकर आसानीसे सीख सकते हैं।
गीताजीका शुध्द उच्चारण कोई सीखना चाहें तो वो भी साथ-साथ पाठ करके सीख सकते हैं।
कोई गीताजी पढनेकी लय सीखना चाहें,कोई गीताजीकी राग सीखना चाहें,तो वो भी श्री महाराजजीकी वाणीके साथ-साथ पाठ करके सीख सकते हैं।
कोई गीताजी पढते समय उच्चारणमें होनेवाली अपनी भूलें सुधारना चाहें,गलतियाँ सुधारना चाहें,तो वो साथ-साथ पाठ करके सुधार सकते हैं।
कई लोग 'श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज'पूछते थे कि हम गीता पढना चाहते हैं,हमको शुध्द गीताजी पढना नहीं आता,क्या करें?
तब श्री महाराजजी उनसे कहते थे कि सुबह चार बजे यहाँ गीताजीके पाठकी कैसेट लगती है,उसके साथ-साथ गीताजी पढो।(गीताजी शुध्द पढना आ जायेगा,सही पढना सीख जाओगे)।
उन दिनों प्रात:चार बजेसे श्री महाराजजीकी आवाजवाले पाठकी ये(नीचे बतायी गयी) कैसेटें ही लगती थीं।
पहला गीता-पाठ(नई रिकोर्डिंग) यहाँसे प्राप्त करें - http://db.tt/umrsxMnU
दूसरी प्रकारका गीता-पाठ और श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् यहाँ(इस पते)से प्राप्त करें - http://db.tt/L5hJrHtt
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पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराजका
साहित्य पढें और उनकी वाणी सुनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/

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