दौ सार बातें-
…तो मनुष्यपना दौ बातसे ही होता है-
एक(१) तो दूसरोंका हित करे|
एक(२) परमात्माको याद करे ||
-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके १९९३१०२२/५.१८/ बजेके प्रवचनसे
इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
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