शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

अपमानसे उन्नति- 'जब मनुष्य गुरुजनोंके कठोर शब्दोंसे युक्त वाणी द्वारा अपमानित,तिरस्कृत किये जाते हैं,तभी वे महत्त्वको प्राप्त होते हैं,अन्यथा नहीं|जैसे,मणि भी जबतक शाणपर घिसकर उज्जवल नहीं की जाती,तबतक वह राजाओंके मुकुटमें नहीं जड़ी जाती|, श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके प्रवचनसे |

अपमानसे उन्नति-

गीर्भिगुुरूुणां परुषाक्षराभिस्तिरस्कृता यान्ति नरा महत्त्वम्|
अलब्धशाणोत्कषणान्नृपाणां न जातु मौलौ मणयो वसन्ति||
(रस गंगाधर)
'जब मनुष्य गुरुजनोंके कठोर शब्दोंसे युक्त वाणी द्वारा अपमानित,तिरस्कृत किये जाते हैं,तभी वे महत्त्वको प्राप्त होते हैं,अन्यथा नहीं|जैसे,मणि भी जबतक शाणपर घिसकर उज्जवल नहीं की जाती,तबतक वह राजाओंके मुकुटमें नहीं जड़ी जाती|,
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके प्रवचनसे |

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