||राम||
एक बार श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजसे किसीने (एक सफेद दाढीवाले बुजुर्गने) पूछा कि एक ही श्वासमें सत्तर(७०) करोड़ नाम-जप कैसे हो जाता है? ...कबीर एकही स्वासमें सिंवरण सित्तर किरोड़ ||
वो कौनसी विधि है?
इसका उत्तर किसी कारण वश बाकी रह गया था,वो उनकी वाणी सुनते हुए आज समझमें आया-
वो कौनसी विधि है?
इसका उत्तर किसी कारण वश बाकी रह गया था,वो उनकी वाणी सुनते हुए आज समझमें आया-
(प्रश्न-) एक ही श्वासमें सत्तर करोड़ भगवन्नाम कैसे लिये जाते हैं?
(उत्तर-) इसका रहस्य आपको श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजकी (दिनांक-२७-५-१९९५,१६००बजेकी) सत्संग-वाणीमें मिलेगा कि एक ही लगनसे जब रात-दिन नाम-जप किया जाता है,तो रोम-रोमसे नामका उच्चारण होने लगता है| शरीरमें साढे तीन करोड़ रोमावली(बाल) हैं,साढे तीन करोड़ रोमावलीमें एक साथ राम नामका उच्चारण होता है, कितना नाम(संख्या) होगा उनका?
(एक श्वासमें अगर बीस रामनाम लेता है तो एक श्वासमें सत्तर करोड़ हो गये)
|| सीताराम सीताराम ||
(एक श्वासमें अगर बीस रामनाम लेता है तो एक श्वासमें सत्तर करोड़ हो गये)
|| सीताराम सीताराम ||
सर्वहितकल्याण परमार्थ पुरुषार्थ रोजगार आज्ञासेवा का पलान ओर उपयोग लक्ष्यनुसार करना ओर करवाना चाहिए पर निष्कामभाव से,अहं अंहकार मनोविकार से रहित होकर ।
जवाब देंहटाएंआशीष कुमार प्यासी WhatsApp नंबर-8319220533/9669938129