'गीता-दर्पण' ग्रंथ कैसे प्रकट हुआ? कि
परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज गीता 'साधक-संजीवनी'की भूमिका लिखवा रहे थे,वो भूमिका संकोच करते-करते भी ( कि पहले भी 'साधक-संजीवनी' इतना बड़ा पौथा हो गया,वैसे ही यह न हो जाय)इतनी बड़ी हो गयी कि अलगसे 'गीता-दर्पण'नामक ग्रंथ छपाना पड़ा;इसमें गीताजीके शोधपूर्ण १०८ लेख है और पूर्वार्ध्द तथा उत्तरार्ध्द-दो भागोंमें विभक्त है, किसी गीता-प्रेमी सज्जनको श्री महाराजजी यह 'गीता-दर्पण' ग्रंथ देकर फरमाते थे कि कमसे-कम इसकी विषय-सूची तो देखना;
गीताजीके इस अद्वितीय-ग्रंथको एक बार जरूर पढना चाहिये,इसमें और भी कई बातें हैं ||
यह ग्रंथ गीता-प्रेस गोरखपुरसे प्रकाशित हुआ है और इंटरनेट पर भी उपलब्ध है-
http://www.swamiramsukhdasji.org/
""जै श्री राम""" ""जै श्री राम""" ""जै श्री राम"""
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जवाब देंहटाएंसीताराम
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