(एक बाईने कहलाया कि मैं तो केवल एक भगवानके दर्शन चाहती हूँ,मेरेको और कुछ नहीं चाहिये |
तब श्री स्वामीजी महाराजने कहा कि पुकारो भगवानको और खुशीकी बात बताते हुए तथा अनुमोदन करते हुए यह कहावत भी बोली-)
मैं तो मूसलसे ढोल बजाऊँ
कि कोई एक प्राणी तो ऐसा निकल जाय -(कि केवल)भगवानकी (ही)इच्छा हो)|
दिनांक-२५/८/१९९१.८||
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके १९९१०८२५/८.३० बजेके सत्संगका अंश) |
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