शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

मैं तो मूसलसे ढोल बजाऊँ (कि कोई तो ऐसा निकले कि मुझे भगवानके अलाव कुछ नहीं चाहिये)-श्रघ्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके दिनांक-२५/८/१९९१.८|| बजेके प्रवचनका अंश .

(एक बाईने कहलाया कि मैं तो केवल एक भगवानके दर्शन चाहती हूँ,मेरेको और कुछ नहीं चाहिये |
तब श्री स्वामीजी महाराजने कहा कि पुकारो भगवानको और खुशीकी बात बताते हुए तथा अनुमोदन करते हुए यह कहावत भी बोली-)

मैं तो मूसलसे ढोल बजाऊँ
कि कोई एक प्राणी तो ऐसा निकल जाय -(कि केवल)भगवानकी (ही)इच्छा हो)|
दिनांक-२५/८/१९९१.८||
श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके १९९१०८२५/८.३० बजेके सत्संगका अंश) |

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