पाप-कर्म सबसे पहले छोड़ना आवश्यक
मुक्तिका क्रम-
1.निषिध्द(पाप)का त्याग 2.न्याय(अच्छा व्यवहार,आपसमॅ प्रेम हों आदि) 3.धर्म(शास्त्रविहित दान,पुण्य आदि)और 4.पारमार्थिक-बातें(जिससे जीवकी मुक्ति हो जाय)।[इसलिये सबसे पहले पाप-कर्म तो छोङने ही चाहिये नहीं तो मुक्तिकी तरफ चलना शुरु ही नहीं हुआ]-श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके ("36- Nishidh Karmo ka tyag" नामक) विशेष प्रवचनसे |
इस जगतमें अगर संत-महात्मा नहीं होते, तो मैं समझता हूँ कि बिलकुल अन्धेरा रहता अन्धेरा(अज्ञान)। श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजीमहाराज की वाणी (06- "Bhakt aur Bhagwan-1" नामक प्रवचन) से...
शुक्रवार, 3 जनवरी 2014
पाप-कर्म सबसे पहले छोड़ना आवश्यक- श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके विशेष प्रवचनसे |
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें