गुरुवार, 16 जनवरी 2014

ज्ञान(बोध) हो जानेपर संसारका व्यवहार 'बाधितानुवृत्ति(कि 'यह नहीं है')'से होगा -परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज के दिनांक १९९३१०२६/०५.१८/बजे;के सत्संग-प्रवचनका अंश|

परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने दिनांक
२६/१०/१९९३/०५.१८/बजे;के सत्संग-प्रवचनमें बताया कि

ज्ञान होनेपर सृष्टि लीन हो जाती है ;सृष्टिका फिर व्यवहार ['बाधितानुवृत्ति'से] होता है-'बाधितानुवृत्ति' कहते हैं इसको,शास्त्रमें 'बाधितानुवृत्ति'(कहते हैं). मानो,अनुवृत्ति* होती है पर बाधित होती है :जैसे मैंने बताया कि दर्पणमें मुख दीखता है,तो दीखता है पर बाधित है , 'बाधित'का अर्थ कि 'नहीं है'-ये साफ निश्चय पड़ा है ,'मृगतृष्णा'का जल दीखता है पर 'नहीं है'ऐसा होता है
सुपनेकी(स्वप्नकी) सृष्टि दीखती है ,पर जगनेपर वो नहीं है,ऐसे बाधा हो जावो 'बाधितानुवृत्ति'से संसारका व्यवहार
होता है,सत्यता बिल्कुल ऊठ जाती है मिट जाती है ;तो बोध होनेपर ऐसा होता है ;वो वास्तवमें साध्यज्ञान है |वो हमारे [लिये] ध्येय है,लक्ष्य है ;उस ज्ञानके लिये हमें चलना है ;वो जितना चलना है वो सब साधनज्ञान है ;ऐसे|'
तो साधनज्ञानका (आदर करना चहिये), आदर दैना चाहिये पहले आदर;वास्तवमें विवेक बढता कब है?कि विवेकका आदर दिया जाय(आदर किया जाय).
(विवेकको ज्यों-ज्यों  आदर दैंगे,त्यों-त्यों  विवेक  बढेगा);
परम श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज के दिनांक
१९९३१०२६/०५.१८/बजे;के सत्संग-प्रवचनका  अंश|
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* "अनुवृत्ति (Anuvritti)" के लिए हिन्दी अर्थ | Meaning of "अनुवृत्ति" in Hindi
एक बार कही या पढ़ी हुई चीज या बात फिर से कहना या दोहराना।व्याकरण में, किसी कथन में आया हुआ कोई अंश या पद परवर्ती कथन में फिर से ग्रहण करना या मानना।में माधव भी के साथ आया है माना गया है।

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